1 April 2019
बने राहुल गांधी के लिये अभिशाप
राहुल गांधी के लिये चौकीदार क्यों अभिशाप है?
प्रधानमंत्री ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मैं भी चौकीदार अभियान के तहत देश भर में 500 जगह पर लोगों को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चौकीदार न कोई व्यवस्था है, न कोई यूनिफॉर्म की पहचान है न कोई चौखट में बंधा है चौकीदार एक स्प्रिट है, एक भावना है।
इसी संदर्भ में उन्होंने यह भी समझाने के प्रयास किया कि चौकीदार से डरता कौन है?
कार्यक्रम में उपस्थित एक चौकीदार के प्रश्र प्रश्र पूछते समय कहा कि उसे पूरा विश्वास है कि मोदी जी आप पुन: जीतेंगे परंतु मेरा प्रश्र यह है कि शपथ लेने के बाद आप क्या करेंंगे?
इसी के प्रतियोत्तर में पीएम मोदी ने कहा कि जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें पाई–पाई लौटानी पड़ेगी। 2014 से सारी चीजें इक_ा करना और समेटने का काम मैं कर रहा हूं। आपकी मदद से जेल के दरवाजे तक तो मैं इन लोगों को ले गया, कुछ जमानत पर हैं और कुछ डेट मांग रहे हैं।
जीतने पर शपथ लेने के बाद कार्य जो बचा है उसे पूरा करनेे के लिये चोरों को यह चौकीदार जेल के दरवाजे से जेल के अंदर भिजवाकर रहेगा।
लगता है इसी कारण विपक्ष के कई नेता चाहे वो चंद्रबाबू नायडू हों या राहुल गांधी उन्हें डर है कि अभी नहीं जीते अर्थात मोदी इस बार नहीं हटा तो उनका कल्याण नहीं। अर्थात उन्हें जेल जाने का डर है। चोर की दाढ़ी में तिनका है।
विपक्ष यह भी कह रहा है कि इस बार नरेन्द्र मोदी जीते अर्थात पुन: प्रधानमंत्री बने तो उसके बाद भारत में चुनाव होंगे हीं नहीं।
इस संदर्भ में मुझे हार्दिक पटेल पर हाईकोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय जिसके अनुसार वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे का स्मरण हो रहा है। एक मुकदमे में उन्हें दो साल की सजा हो चुकी है इसलिये वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
इसी प्रकार से राहुल गांधी, चिदंबरम, शशि थरूर आदि अनेक कांग्रेस के नेता और विपक्षी पार्टियों के भी कई नेता बेल पर हैं अर्थात जमानत पर हैं।
उन्हें भय सता रहा है कि यदि नरेन्द्र मोदी प पुन: प्रधानमंत्री बनेंगे तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा और हार्दिक पटेल जैसे ही चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिलेगा।
विपक्ष भले ही संविधान खतरे मे है और लोकतंत्र खत्म होने वाला है जैसे नारे लगा रहा हो परंतु वास्तविकता यही है कि खतरा संविधान और लोकतंत्र को नहीं है उन्हें तो और मजबूती मिलेगी खतरा तो वास्तव में वंशवादी पार्टियों के परिवारवादी पार्टियों के प्रमुखों को है उनका राजनीतिक अस्तीत्व उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के कारण उन्हें जो सजा मिलने वाली है उससे खतरे में है।
अमेठी क्यों बना राहुल गांधी के लिये अभिशाप?
राहुल गांधी जनेऊधारी ब्राम्हण का बहुरूपीया रूप धारण कर मंदिर–मंदिर द्वारे–द्वारे भटक रहे हैं पर उनकी पोल खुल चुकी है। प्रियंका वाड्रा भी अयोध्या का पॉलिटिकल पर्यटन टूर कर और रामलला के दर्शन न कर यह बता दिया है कि कौन हिन्दू है और कौन नहंीं ? कौन सबको साथ लेकर चलने वाला है और कौन जातिवाद और संप्रदायवाद पर आधारित राजनीति करने वाला है।
अमेठी की जनता को स्मृति इरानी ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में भलीभांति समझा दिया है कि राहुल गांधी चुनावी हिन्दू हैं।
दरअसल, राहुल गांधी इससे पहले सिर्फ अमेठी से ही चुनाव लड़ते रहे हैं. राहुल गांधी लगातार तीन बार से उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. ऐसी खबरें हैं कि अमेठी से स्मृति ईरानी राहुल गांधी को टक्कर दे रही हैं और इसके अलावा मेनका गांधी के सुल्तानपुर से चुनाव लडऩे के बाद से अमेठी में भी उसका असर पड़ सकता है, इसे देखते हुए ही राहुल गांधी ने दो जगह से चुनाव लडऩे की रणनीति अपनाई है.
इसलिये राहुल गांधी ऐसी सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं जहॉ हिंदू ५० प्रतिशत से कम हों और वह कांग्रेस का गढ़ हो। ऐसी सीट वायनाड उनका मिली है।