सीजे की डीबी ने राज्य में पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ पेश याचिकाओं को स्वीकार किया है। इस आदेश के बाद प्रदेश में विभागीय पदोन्नति में आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य शासन को मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय को लागू करने के निर्देश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी शरद कुमार श्रीवास्तव, विवेकानंद पांडेय, पीएन सोलंकी, कृषि विभाग के अजय सिंह कुशवाहा, रामजी चतुर्वेदी, पुलिस विभाग के निरीक्षक अनिल तिवारी, शिक्षा विभाग के उग्रसेन चंद्रवंशी, अनिल कुमार बघेल सहित अन्य ने विभागीय पदोन्नति में आरक्षण रोस्टर लागू करने के खिलाफ हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दाखिल की थी। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी व जस्टिस पीपी साहू की डीबी ने सभी याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई की। डीबी ने अपने आदेश में शासन को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही जनरैल सिंह व एम. नागराज और अन्य विरुद्घ भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने डायरेक्शन के साथ सभी याचिकाओं को निराकृत किया है।
सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है एमपी सरकार की याचिका
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में प्रमोशन में आरक्षण देने केनियम को पहले ही निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ एमपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पेश की। सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को खारिज कर एमपी हाईकोर्ट द्वारा एम. नागराज के मामले में पारित आदेश को यथावत रखा है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं देने का आदेश दिया है।
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