4 February 2019
ममता बोलीं, यह तख्तापलट की कोशिश, दूंगी धरना
बजट से आहत कांग्र्रेसी विपक्ष ईवीएम से भी आहत
अभी–अभी समाचार प्राप्त हुआ है कि ममता बैनर्जी ने धमकी देते हुए कहा है कि – संविधान को बचाने के लिये धरने पर बैठूंगी।
सारदा और रोज वैली चिटफंड घोटाले मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने पहुंची सीबीआई टीम को पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के बाद कोलकाता सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सीबीआई पीएम मोदी के दबाव में आकर ऐसा कर रही है।
आज का ही दूसरा समाचार है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बंगाल में उतरने नहीं दिया गया इससे उन्हें अपनी दो आमसभाओं को रद्द कर टेलीफोन से ही संबोधित करना पड़ा।
जिस तरह ठाकुरनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान जबरदस्त भीड़ उमड़ी और महिलाएं बेहोश होने लगीं, जिस तरह बेकाबू भीड़ को देखते हुए मोदी को अपना भाषण जल्दी से खत्म करना पड़ा और तत्काल दुर्गापुर की सभा के लिए निकलना पड़ा, उसने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या पश्चिम बंगाल में मोदी को देखने के लिए उमड़ी भीड़ इस बात का संकेत है कि ममता बनर्जी का जादू का असर कम हो गया है? क्या ये भीड़ और खासकर महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या पश्चिम बंगाल में भाजपा की बढ़ती ताकत की एक झलक है? क्या 24 परगना जैसे तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में अब बदलाव की बयार आने वाली है?
दरअसल टीवी पर मोदी का करिश्मा देख देख कर लोगों के लिए ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि ये वही नायक है जिसे हराने के लिए कुछ ही दिन पहले ममता बनर्जी को महागठबंधन की इतनी बड़ी रैली करनी पड़ी थी। और ये वही मोदी हैं जो बार बार राहुल गांधी ममता बनर्जी और अन्य महागठबंधन के कथित नेताओं को चुनौती दे रहे हैं।
कलकत्ता में ममता बनर्जी ने महारैली का आयोजन किया था, जिसमें तमाम पार्टियों के नेताओं को बुलाया गया था. मंच पर अरविन्द केजरीवाल भी थे तो अखिलेश यादव भी थे कुमारस्वामी भी थे तो फारुख अब्दुल्लाह भी थे. ममता बनर्जी ने उस महारैली के साथ ही बीजेपी के अंतिम संस्कार की घोषणा कर दी थी. ममता बनर्जी मंच का संचालन खुद कर रही थी और एक के बाद एक विपक्षी नेता मंच पर आकर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान कर रहे थे. आपसी एकता को बरकरार रखते हुए मोदी–शाह की एकता को ध्वस्त करने का राजनीतिक एलान इस मंच से बार–बार किया जा रहा था.
देश की आजादी को खतरे में बताया जाते रहा।
गंगा–जमुनी तहजीब को खतरे में बताया जा रहा है और नरेन्द्र मोदी की छवि को जनता विरोधी और राष्ट्र विरोधी बताया जा रहा है. कूल मिलाकर मोदी विरोधी माहौल बनाने की तैयारी लोकसभा चुनाव से पहले जोर–शोर से की जा रही है. राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उस नेता को घेरा जा रहा है, जो भारतीय राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा राजनीतिक खिलाड़ी है.
सच पूछा जाये तो महागठबंधन एक प्रकार से ठगबंधन है। महागठबंधन के नेताओं का पूरा आचरण अलोकतांत्रिक है।
टीएमसी और ममता बनर्जी डरी हुईं हैं, बंगाल की जनता बदलाव चाहती है।Ó यही हालत कर्नाटक, आंध्रा, केरल तथा अन्य प्रांतों जिनमें महागठबंधन के नेता हावी हैं उनमें भी है।
ममता जी की कलकत्ता में हुई रैली में शामिल महागठबंधन के नेता लोकतंत्र की नसीहत दे रहे थे। ये नेता कितने अलोकतांत्रिक हैं इसका नमूना ममता बैनर्जी ने प्रस्तुत कर दिया है।
पहले बीजेपी की यात्रा को रोक दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि भाजपा को भाषण और कार्यक्रम करने दिए जाए।
दो–दो बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हेलिकॉप्टर को उतरने की इजाजत नहीं दी।
आज यूपी के सीएम के हेलिकॉप्टर को भी उतरने नहीं दिया।
पिछले महीने कोलकाता में हुई ममता बनर्जी की रैली बीजेपी को लोकतंत्र का विरोधी बताया गया था।
अब पूरे बंगाल में बीजेपी की आवाज को पुलिस और प्रशासन के माध्यम से दबाने की कोशिश की जा रही है। यह फांसीवाद है। विरोध को दबाने की कोशिश है।
पंचायतों के चुनाव के दौरान भी यही किया गया। पर्चा नहीं भरने दिया जा रहा था। कल पीएम के पोस्टर पर कीचड़ फेंके गए। यह कौन सा लोकतंत्र है।Ó
चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए।Ó