ऐतिहासिक पर्यटक स्थल माण्डू
भोपाल : शुक्रवार, फरवरी 12, 2021, 18:57 IST
माण्डू का पुराना नाम मांडव है, जो मध्यप्रदेश के धार जिले मे स्थित एक प्राचीन गाँव है। माण्डू मालवा के पठार पर स्थित है जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई करीब 2 हजार फीट है। मान्डव के दक्षिण दिशा मे निमाड क्षेत्र का विस्तार है। बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल ने इसी जगह आकर युद्ध किया था, जिसे इतिहास मे माड़ौगढ की लड़ाई के नाम से जाना जाता है| 10वीं सदी मे परमार वंश के शासकों ने सर्वप्रथम मांण्डू को अपनी राजधानी बनाया था। परमार वंश के प्रतापी राजा जयवर्मन और भोजराज हुए, नीलकंठ महादेव मंदिर उसी काल का बना है। राजा भोजराज ने माण्डू से दूर अन्य जगह झीलों के किनारे अपनी नई राजधानी बनाई, जिसका बाद मे नाम भोपाल पड़ा।13वीं सदी मे माण्डू पर मुगलों ने कब्जा कर लिया था। ग्यासुद्दीन और बाजबहादुर के काल मे यहाँ अनेक महल और किले बनवाये गये, इसलिये माण्डू को किलों की नगरी भी कहते हैं। बाद मे मांडव इन्दौर की मराठा रियासत के अधिपत्य मे आ गया था। दिल्ली दरवाजा, जहाँगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा इस नगर के प्रमुख प्रवेश द्वार हैं।माण्डू एक छोटा सा, कम आबादी वाला विस्तृत क्षेत्रफल मे फैला पहाड़ी गाँव है। पहाड़ी इलाका होने से वर्ष भर यहाँ हरियाली बिछी रहती है। नीम, आम, अमरूद, इमली और बरगद के पेड़ यहाँ बड़ी संख्या में है। झरने, तालाब, मंदिर, मस्जिद, किले, वन, बगीचे और महलों के कारण माण्डू का वातावरण आनंदित करने वाला रहता है, इसलिये इसे खुशियों का शहर भी कहते है।जहाज महलदो जलाशयों के मध्य निर्मित दो मंजिला आयताकार यह महल बरसात में पानी पर तैरते एक जहाज की तरह नजर आता है, इसलिये इसे जहाज महल कहते हैं। इसका निर्माण खिलजी शासक ने 14 वीं सदी मे करवाया था। इस महल के सामने तालाब और बगीचे का समागम महल की सुंदरता पर चार चाँद लगाता है। महल की छतों पर बरसाती जल निकासी का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलता है।हिंडोला महलपत्थर की टेढ़ी और सपाट बाहरी दीवारों से बना यह महल जहाज महल के पास बना हुआ है, जिसे ग्यासुद्दीन ने बनवाया था। हिंडोला महल के दाई तरफ चम्पा बाबड़ी और हमाम खाना महल वास्तुकला के बेजोड़ दर्शनीय स्थल है। तबेली महलजहाज महल के सामने दो मंजिला छोटा सा महल है, जिसमे संग्रहालय संचालित है। तबेली महल मे जाकर पुरातन कालीन वस्तुएँ निहारी जा सकती हैंनीलकंठ मंदिरसोनगढ किले से एक किलोमीटर पहले महादेव जी का मंदिर पहाड़ी के तल मे बना है। यहाँ जाने के लिये सीढ़ियों से उतरकर पहुँचना होता है। पत्थरों से निर्मित यह मंदिर पहाड़ को काटकर बनाया गया है। मंदिर के अंदर शिव लिंग पर प्राकृतिक पानी की धारा गिरती है।बाजबहादुर महलसंगीत के शौकीन मुगल शासक बाजबहादुर ने रेवाकुंड के सामने पहाड़ी की ढलान पर बाजबहादुर महल का निर्माण करवाया था। चौकोर आकार मे बने इस महल के अंदर एक सुंदर बगीचा भी है।रूपमती महलराजा बाजबहादुर ने अपनी प्रियतम रानी रूपमती के लिये इस महल का निर्माण करवाया था। बाजबहादुर के महल से थोडा आगे चलने पर रूपमती का महल ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। रूपमती महल के ऊपर दोनों ही किनारों पर छतरीनुमा चौकोर खुले कक्ष बने है। महल की छत से माण्डू का नजारा सर्वाधिक दूर तक मनोहारी दिखता है।काँकडा खोहधार रोड पर माण्डू से 4 किलामीटर पहले कांकडा खोह नाम के स्थान पर एक झरना है, यहाँ 100 फुट के करीब गहरी खाई है। बरसात मे बड़ी जलधारा पर्वतों से होते हुई इसी जगह झरने का रूप लेती हुई नीचे गिरती है। यहाँ आकर काँकडा घाटी का नजारा ऊँट की सवारी करते हुए भी ले सकते हैं। बच्चों के लिये यहाँ विशेष मनोरंजन पार्क बनाये गये है।अन्य स्थानमाण्डू के अन्य दर्शनीय स्थलों मे अशर्फी महल, होशंगशाह का संगमरमर से बना मकबरा, जामी मस्जिद, हिंगलाज मंदिर और लोहानी गुफा आदि प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश सरकार के मालवा रिट्रीट होटल के अलावा यहाँ और भी अनेक होटल ठहरने के लिये हैं।
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