छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो सभी गरीबों के लिए न्यूनतम आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम) का इंतजाम किया जाएगा. लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इस बयान को कांग्रेस की ओर से खेले गए एक बड़े दांव के तौर पर देखा जा रहा है. दूसरी ओर इस बयान के बाद केंद्र की मोदी सरकार के ऊपर भी गरीबों को हर महीने सैलेरी की गारंटी का ऐलान करने का दबाव बढ़ गया है.
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार इसका ऐलान भी कर सकती है. अगर सरकार इसका ऐलान करती है तो ये कई सारी शर्तों के साथ किस्तों में लागू की जा सकती है. ध्यान रहे कि लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी वादों का दौर जोर-शोर से जारी है. कर्जमाफी कार्ड के बाद राहुल गांधी ने सभी गरीबों को न्यूनतम इनकम गारंटी देने का वादा किया है. इस बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम का ऐलान हो सकता है.
इससे पहले 2016-17 के आर्थिक सर्वे में इस स्कीम की सिफारिश की गई थी. इसमें हर किसी को शामिल करने की बजाय सिर्फ गरीबों को शामिल किया जा सकता है. इसमें लोगों के चयन के लिए चल-अचल संपत्ति, आमदनी और पेशे को आधार बनाया जा सकता है. सरकार इस स्कीम को पूरे देश में एक साथ लागू करने की बजाय इसे चरणों में लागू कर सकती है.
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) एक ऐसी स्कीम है, जो देश के गरीबों को एक निश्चित आय की गारंटी देता है. यूबीआई देश के गरीब, अमीर, नौकरीपेशा, बेरोजगार को निश्चित आय की गारंटी देता है. सबसे खास बात ये है कि इस आय के लिए आपको किसी तरह का काम करने या किसी तरह की योग्यता की जरूरत नहीं होती है. देश के तमाम जरूरतमंदों को जीवन-यापन के लिए न्यूनतम आय का प्रावधान दिया जाता है. मोदी सरकार में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ‘इकोनॉमिक सर्वे’ में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की वकालत की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम का ऐलान किया जा सकता है. इस स्कीम का सुझाव सबसे पहले लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टैंडिंग ने दिया था.
इस योजना को देश के मध्य प्रदेश की एक पंचायत में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर शुरू किया गया, जिसमें बेहद सकारात्मक नतीजे आए. लोगों के जीवनस्तर में सुधार हुआ. अमीर और गरीब के बीच का अंतर कम हुआ. सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट को लेकर इंदौर के 8 गांवों में इस स्कीम को चलाया. इस स्कीम के तहत व्यस्कों को 500 और बच्चों को हर महीने 150 रुपए दिए गए, जिससे लोगों के जीवनस्तर में सुधार देखने को मिला. ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, आयरलैंड जैसे देशों में ये स्कीम लोगों को लाभ दे रही है.
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