अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर में इंडियन स्टेम सेल स्टडी ग्रुप एसोसिएशन की द्विवार्षिक कांफ्रेंस 13 और 14 फरवरी को आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर री-जनरेटिव साइंसेज पर सीएमई का आयोजन भी होगा। इसमें देश-विदेश के 150 से अधिक प्रमुख चिकित्सक स्टेम सेल के विभिन्न अनुप्रयोगों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
आयोजक सचिव एम्स के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस बार द्विवार्षिक कांफ्रेंस का आयोजन एम्स द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि री-जनरेटिव साइंसेज के माध्यम से विभिन्न विभाग मिलकर उम्र, दुर्घटना, बीमारी या अन्य किसी कारण से क्षतिग्रस्त होने वाले टिश्यूज या आर्गन का उपचार कर सकेंगे।
इसका रीढ़ की हड्डी, ट्यूमर, सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारियों और ईएनटी, सर्जरी, नेत्र रोग, न्यूरोसाइंसेज जैसे विभागों में भी री-जनरेटिव साइंसेज का प्रयोग किया जा रहा है। इन सभी प्रासंगिक विषयों और भविष्य की चुनौतियों पर एम्स में चिकित्सक चर्चा करेंगे। कांफ्रेंस हाइब्रिड मोड में आयोजित की जा रही है। लगभग 100 चिकित्सक एम्स में प्रस्तुतियां देंगे, जबकि लगभग 50 चिकित्सक आनलाइन व्याख्यान देंगे।
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