भूपेश बघेल के नेतृत्व और उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा के कुशल मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ उद्योग के क्षेत्र में तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। सरकार ने कई ऐसी नीतियां बनाई है जो कि राज्य में उद्योग के निर्माण और विकास में सहायक है। प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ में खनिजों की पर्याप्त उपलब्धता है। निवेश में प्रोत्साहन के लिए राज्य में नवीन औद्योगिक नीति बनाई गई है। इसमें पात्र उद्योगों को सामान्य, प्राथमिकता उद्योगों तथा उच्च प्राथमिकता उद्योगों की श्रेणी में विभाजित कर विभिन्न निवेश प्रोत्साहन अनुदान, छूट एवं रियायतें दी गई है। इसी का परिणाम है कि में राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के अनुसार छत्तीसगढ़ में दो वर्ष के दौरान कुल 104 एमओयू किए गए है, जिसमें की 42 हजार 714 करोड़ से अधिक पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे 64 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। इन निवेशों में स्टील सेक्टर में 78 एमओयू में 37306.39 करोड़, सीमेंट में एक एमओयू राशि 2000 करोड़, एथेनाल में 7 एमओयू 1082.82 करोड़, फूड सेक्टर में 5 एमओयू में 283.61 करोड़ फार्मास्युटिकल केे 3 एमओयू में 56.41 करोड़, डिफेंस सेक्टर के 3 एमओयू में 529.50 करोड़, इलेक्ट्रानिक्स में 2 एमओयू में 30.76 करोड़, सोलर में एक एमओयू 245 करोड़ और अन्य 4 क्षेत्रों में 1179.99 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है।
छत्तीसगढ़ बिजली के उत्पादन के मामले में सरप्लस राज्य का दर्जा रखता है। सरप्लस होने के कारण से छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों को भी बिजली बेचता है। भारत सरकार के अधीन कार्यरत कंेद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सितंबर 2020 के प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के ताप विद्युत गृहों ने सर्वाधिक विद्युत उत्पादन का कीर्तिमान रचते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का प्रथम बिना पावर कट वाला राज्य बन गया है। यहां पर बिजली भारत की औसत विद्युत दर से कम दर पर उपलब्ध है। जो कि राज्य में निवेश के लिए निवेशकों को आकर्षित करता है।
यहां पर औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आबंटन में भू-प्रीमियम में 30 से 60 प्रतिशत की और द श्रेणी में उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 60 प्रतिशत की छूट दी गई है। उद्योगों को लीज पर दी गई भूमि में उद्योग लगाने के लिए निर्धारित अवधि में एक वर्ष की वृद्धि की गई। पट्टे पर आबंटित औद्योगिक भूमि उपयोग न हो पाने के प्रकरणों में भूमि के हस्तांतरण को आसान बनाया गया। नये बायो इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अर्लीबर्ड अनुदान के लिए 18 महीने की समयावधि निर्धारित की गई। पहले एम.ओ.यू. के बाद छह माह के भीतर उत्पादन शुरू करने पर अर्लीबर्ड अनुदान देने का प्रावधान रखा गया था। शासकीय अथवा नैसर्गिक स्रोतो से औद्योगिक प्रयोजन हेतु जल उपयोग की दरों में 20-36 प्रतिशत की कमी की गई है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को स्थायी पूंजी निवेश अनुदान अथवा नेट एसजीएसटी प्रतिपूर्ति का विकल्प उपलब्ध कराया गया है। कोर सेक्टर के मध्य, वृहद, मेगा और अल्ट्रा मेगा उद्योगों को विकासखंडो की श्रेणी के अनुसार 5 से 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क से पूर्ण छूट दी गई है।
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