कोरिया जिले में किसानों के आर्थिक संबल के लिए की गई अभिनव पहल के तहत दर्जन भर आदिवासी किसानों ने पहली तिमाही में ही एक लाख रूपए से ज्यादा राशि का शहद उत्पादित कर लिया है। आने वाली तिमाही में आदिवासी किसानों के द्वारा उत्पादित षहद से मिलने वाले लाभ की रकम दोगुनी होगी। अब इसे और व्यापक स्तर पर किए जाने की तैयारी है। इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र-कोरिया के तकनीकी सहयोग से कोरिया जिले में मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन का कार्य आदिवासी कृषकों के समूह द्वारा किया जा रहा है। विदित हो कि कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के सलका प्रक्षेत्र में विगत वर्षों से मधुमक्खी पालन उन्नत वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है और जिले के किसानों को मधु क्रांति से जोड़कर आर्थिक संबल देने के लिए निरंतर इसके लिए प्रशिक्षण किसानों को प्रदान किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया में समूह के कृषकों ने वनतुलसी का 75 किलोग्राम शहद नवम्बर-दिसंबर माह में निकाला था।
मधुमक्खी बक्सों को खेत की मेड़, सड़क के किनारे, बगीचा या जहाँ फूलों की उपलब्धता हो, आदि स्थानों पर भी रखा जा सकता है। मधुमक्खी लगभग 3 किलोमीटर त्रिज्या क्षेत्र से अपना भोजन (पुष्परस एवं पराग) ले सकती है। बरबसपुर और लोहारी में किसानों को मधुमक्खी पालन में काम आने वाले औजार, बक्सा, मधु-निष्कासन-यंत्र इत्यादि के लिए कृषकों को जिला प्रषासन द्वारा आर्थिक सहयोग देकर यह कार्य प्रारंभ कराया गया। श्री राजपूत ने बताया कि इच्छुक किसान खादी और ग्रामोद्योग आयोग से अनुदान प्राप्त कर कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करके आमदनी का नया साधन सृजित कर सकते हैं।
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