सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया एवं स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से बेरोजगारी, नौकरियों का खात्मा, रोजगार की गुणवत्ता में गिरावट पर कन्वेंशन आयोजित किया गया। पूर्व सांसद तपन सेन सहित देश के कई श्रमिक नेताओं ने दिल्ली में हुए कन्वेंशन को संबोधित किया। देश के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। साथ ही बेरोजगारी भत्ता की मांग की गई।
इस कन्वेंशन में सभी प्रांतों से तीनों संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कन्वेंशन में स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया दुर्ग जिले की प्रभारी अर्चना ध्रुव ने भाग लिया। कन्वेंशन में कृषि कानूनों को वापस लेने, बिजली बिल संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी प्रावधानों को बनाने के लिए चल रहे कृषि आंदोलन का समर्थन किया गया।
कन्वेंशन में वक्ताओं ने कहा कि वैश्विक संकट के कारण बेरोजगारी पहले से ही बहुत उच्च स्तर पर थी। लाकडाउन ने स्थिति को और खराब कर दिया है। श्रम मंत्रालय के श्रम बल सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि हमारे देश में बेरोजगारी की दर 45 वर्षों में सबसे अधिक थी। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकोनामी की जनवरी 2021 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर में बेरोजगारों की संख्या 38.7 मिलियन तक पहुंच गई है, जोकि लाकडाउन पूर्व के आंकड़ों से अधिक है। बेरोजगारी की दर कार्यशील आयु की आबादी के बेरोजगारों के अनुपात को इंगित करती है, जो काम करने को तैयार हैं किंतु सरकार इन बेरोजगारों को नौकरी अथवा रोजगार मुहैया कराने के बजाय इनका मजाक उड़ा रही है। कन्वेंशन में मांग की गई कि सरकार बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराए एवं तब तक बेरोजगारों को वैधानिक उपायों के माध्यम से प्रति माह 5000 का बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
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