मध्यप्रदेश में कमलनाथ मंत्रिमंडल के सदस्यों के बीच विभाग वितरण का मामला उलझ गया है। बड़े नेताओं के दबाव और नवनियुक्त मंत्रियों की विभागों को लेकर जिद के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रिमंडल की शपथ के तीन दिन बाद तक मंत्रियों को विभाग नहीं बांट पाएं। अनिर्णय की स्थिति के चलते सूबे के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में कुहासा छाया हुआ है।
कांग्रेस की सियासत में कमलनाथ बड़े कद के नेता माने जाते हैं। मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में ऐसे नेता गिने चुने बचे हैं जिन्हें श्रीमती इंदिरा गांधी से लेकर संजय गांधी,राजीव गांधी सोनिया गांधी का विश्वास हांसिल रहा हो। गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के साथ भी वे बखूबी कदमताल कर रहे हैं। सात माह पहले उन्हें कांग्रेस की कमान सौपे जाने के पीछे यह सोच रही थी कि वे अपनी वरिष्ठता का लाभ उठाते हुए कांग्रेस के सभी गुटों में सामंजस्य बैठाने में कामयाब रहेंगे। इस दिशा में उन्होने काम भी किया,लेकिन पूरी सफलता नहीं मिल पायी। इसकी वजह थी मप्र में कांग्रेस के कई गुटों का हावी होना।
कमलनाथ के अलावा यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया,दिग्विजय सिंह,सुरेश पचौरी,अजय सिंह,विवेक तन्खा जैसे दिग्गज नेता हैं जिनके अपने अपने आग्रह है और दबाव के अलग अलग तरीके। कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चुनौती ज्योतिरादित्य सिंधिया बने हुए हैं जो मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। सिंधिया ने टिकट वितरण से लेकर मंत्री चयन में अपने समर्थकों का पक्ष दमदारी से रखा। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री का चयन दिल्ली में दो दिन की मैराथन बैठकों के बाद तय हो पाया। मंत्रियों के नाम फायनल करने में तो पांच दिन लग गए। मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद की शपत के अगले ही दिन दिल्ली रवाना हो गए थे जहां से वे पांच दिन बाद उसी दिन लौटे जिस दिन मंत्रियों की शपथ होनी थी।
मंत्रियों की शपथ के बाद लग रहा था कि विभागों के वितरण में मुख्यमंत्री को फ्री हैंड रहेगा,लेकिन लगातार तीन दिन से जिस तरह की रस्साकशी चल रही है उसे देखकर नहीं लगता कि कहीं काई फ्री हैंड हैं। सरकार में शामिल दिग्गज मंत्री मनमाफिक विभागों के लिए अड़े हुए हैं। कमलनाथ के करीबी दिग्गज मंत्री सज्जनसिंह वर्मा नगरीय प्रशासन विभाग के लिए अड़े हुए हैं। कमलनाथ उन्हें पीडब्लयूडी विभाग देना चाहते हैंं। वर्मा दिग्विजय सिंह सरकार में नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री रह चुके हैं। इसी तरह एक अन्य मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ चाहती है कि उन्हें चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनाया जाए। नाथ की सूची में उनका प्रस्तावित विभाग महिला बाल विकास विभाग है।
जीतू पटवारी जनसंपर्क के साथ कुछ और विभागों के लिए जिद पर हैं। नाथ की एक दिक्कत यह भी है कि उनकी टीम में विषय विशेषज्ञों का अभाव है। वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग के लिए योग्य चेहरा नहीं है। चर्चा में इस विभाग के लिए दिग्विजय के पुत्र जयवर्द्धन सिंह का नाम है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के लिए गृह मंत्रालय चाहते हैं। गुरूवार शाम तक विभागों को लेकर अस्पष्टता कायम है। सुनने में यह भी आ रहा है कि नाथ ने विभाग का मामला कांग्रेस आलाकमान को सौंप दिया है। वहां से सूबे के सभी नेताओं से चर्चा के बाद लिस्ट फायनल की जाएगी।
मंत्री न बनाए जाने से नाराजगी कायम
सरकार बनने के दो सप्ताह के भीतर ही कांग्रेस के दो विधायकों एंदल सिंह कंसाना और डॉ. हीरा अलावा ने मंत्री नहीं बनाए जाने पर मोर्चा खोला दिया है। कंसाना ने तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और एआईसीसी के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया पर हमला किया है वहीं डॉ. अलावा ने वादा पूरा नहीं होने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से समय मांगा है।
आदिवासी वर्ग के वरिष्ठ विधायक बिसाहुलाल सिंह तो अपनी उपेक्षा से इतने दुखी हो गए कि दिग्विजय के सामने फूट फूट के रो पड़े । सिंह दिग्विजय सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। वे विंध्य से चुनाव जीत कर आए हैं जहां से कांग्रेस को बमुश्किल सफलता मिली है। सविधानसभा के एकमात्र सिख विधायक हरदीप डंग भी मंत्री नहीं बनाए जाने से दुखी हैं।
मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर नाराज कांग्रेस विधायकों में एंदल सिंह कंसाना ने नवदुनिया से फोन पर चर्चा में कहा कि सिंधिया और बाबरिया ने मिलकर उन्हें मंत्री नहीं बनने दिया। वे इससे दुखी और नाराज हैं। इस संबंध में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव को शिकायत की है।कंसाना ने कहा कि मुरैना जिले से कांग्रेस को छह सीटें मिली हैं लेकिन एक भी मंत्री नहीं बनाया गया।
वहीं, मनावर से विधायक डॉ. अलावा की नाराजगी भी खत्म नहीं हुई है। अलावा ने नवदुनिया से फोन पर चर्चा में कहा है कि उनसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार में हिस्सेदारी का वादा किया था। मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद उन्होंने गांधी से समय मांगा है।
अलावा ने कहा कि गांधी के साथ चर्चा में राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा भी साथ थे और उनके साथ गांधी से मुलाकात का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर अभी सरकार में हिस्सेदारी नहीं की गई तो कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्र में नुकसान होगा क्योंकि जयस के युवाओं में कांग्रेस की वादाखिलाफी से आक्रोश है। गौरतलब है कि अलावा कांग्रेस में आने से पहले जयस के प्रमुख रहे चुके हैंं
इधर, मंदसौर संसदीय क्षेत्र से जीते एकमात्र कांग्रेस विधायक हरदीप डंग भी दुखी हैं। उन्होंने नवदुनिया से बातचीत में कहा है कि संसदीय क्षेत्र और जातीय समीकरण के हिसाब से उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना था। वे अपनी बात पार्टी में उचित फोरम पर रखेंगे।
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