छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचारों के मामलों की जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के सांसद बेटे अभिषेक सिंह के पनामा पेपर्स में कथित तौर पर आए नाम पर भी जांच कराने का विचार किया जा रहा है। इसपर जल्द ही आधिकारिक निर्णय लिया जाएगा।
बघेल ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, जब पनामा पेपर्स में नाम होने की वजह से पाकिस्तान में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी जा सकती है, तो फिर अभिषेक की जांच क्यों नहीं होगी? उन्होंने कहा, जल्द ही जांच समिति या दल गठित करने पर फैसला लिया जाएगा और इसकी सूचना मीडिया को दी जाएगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बदले की भावना से कार्रवाई नहीं करने का भरोसा दिया। पर कहा, नसबंदी कांड, नान घोटाला समेत जो गड़बड़ियां हुईं है, उनकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी। बता दें कि अभिषेक पहले ही इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं। अभिषेक ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए साजिश करार दिया था।
झीरम घाटी हमले में सियासी साजिश की आशंका
मुख्यमंत्री ने कहा, 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए एसआईटी के गठन का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक षड्यंत्र का खुलासा करना है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक रूप से दो बातें हैं, जब 23 मई और 24 मई को परिवर्तन यात्रा में शामिल नेताओं को सुरक्षा दी गई, तब 25 तारीख को सुरक्षा क्यों हटा ली गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं। दूसरा यह कि नक्सली, घटना को अंजाम देने के बाद तुरंत निकल जाते हैं। नक्सली बकायदा नेताओं की पहचान कर उनकी हत्या करते हैं। इसका मतलब यह है कि यह षड़यंत्र था।
बस्तर से जवानों की वापसी नहीं
बघेल ने फिलहाल बस्तर क्षेत्र से सुरक्षा बलों की वापसी से इनकार किया है। उन्होंने कहा, सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद समस्या समाप्त नहीं हुई है। इससे निपटने का दूसरा रास्ता सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक है और इसके लिए प्रभावितों से बात की जानी चाहिए। फिलहाल सुरक्षा बलों को हटाना नुकसानदायक हो सकता है।
चुनाव में किए वादे पांच साल के लिए
वादों को पूरा करने के लिए धन की व्यवस्था करने के सवाल पर बघेल ने कहा कि घोषणा पत्र पांच वर्ष के लिए है। यदि एक ही दिन में सभी घोषणाओं को पूरा करेंगे तो इसके लिए बजट कहां से आएगा। जो संसाधन है उससे वादों को पूरा किया जाएगा।
माना मंत्रिमंडल गठन चुनौती
मंत्रिमंडल के चयन के सवाल पर बघेल ने कहा, सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेता जीतकर आए हैं। लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्री ही हो सकते हैं। तीन की नियुक्ति हो गई है अब 10 और लेना है। ऐसे में जो मंत्री नहीं बन पाएंगे उन्हें संगठन और निगम मंडल की जिम्मेदारी दी जाएगी। ताकि उनके अनुभवों का बेहतरी के लिए इस्तेमाल हो सके।
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