टोंक विधानसभा क्षेत्र में इस बार अल्पसंख्यक किसे वोट दें, इसको लेकर असमंजस बरकरार है. उनके सामने धर्म संकट की स्थिति है. मसलन, मुसलमान यदि भाजपा प्रत्याशी और राज्य सरकार के मंत्री यूनुस खान को अपना वोट नहीं देते हैं, तो यह संदेश जायेगा कि मुसलमान हमेशा भाजपा के खिलाफ रहते हैं, भले ही किसी को भी प्रत्याशी बनाया जाये. अगर, कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं, तो उन पर सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस के लड़ने की मुहिम को कमजोर करने का आरोप लग सकता है. ये सवाल-जवाब टोंक जनपद के घंटाघर पर खड़े सिर्फ फरीद मियां के नहीं हैं, बल्कि उस क्षेत्र के बहुत सारे मुसलमानों के मन में भी हैं.
फरीद कहते हैं, यदि सचिन पायलट हारते हैं, तो यह क्षेत्र एक संभावित भावी मुख्यमंत्री को खो देगा. मुसलमानों पर यह भी आरोप लग सकता है कि मुसलमान अपनी कौम के सामने किसी ईमानदार नेता को भी नहीं चुन सकते हैं. टोंक में चुनाव परिणाम जिसके भी पक्ष में जाये, लेकिन अल्पसंख्यकों में अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यही कारण है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने के बाद भी सचिन पायलट को इस क्षेत्र में ज्यादा समय देना पड़ रहा है. वहीं, भाजपा के लिए यह सीट राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है, जिसमें किसी प्रत्याशी की जीत या हार में फायदा भाजपा को ही होता दिख रहा है.
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