कोई भी व्यक्ति ऊंचाई में तभी पहुंचता है, जब वह अपना जमीन नहीं भूलता है। मैंने जिस स्थान से कार्य शुरू किया था, उस स्थान छिंदवाड़ा को आज तक नहीं भूली हूं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज छिंदवाड़ा में श्री उत्तम स्वामी आई.ए.एस. अकादमी के शुभारंभ एवं जिले के प्रथम भारत माता मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम के अवसर पर कही। राज्यपाल ने यहां पर पढ़ने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में श्री उत्तम स्वामी एवं न्यायाधीश श्री प्रकाश उइके ने भी अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर श्री दौलत सिंह ठाकुर भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस अकादमी में विद्यार्थियों को उत्कृष्ट मार्गदर्शन मिलेगा और वे प्रशासन के उच्चपदों पर चयनित होंगे। उन्होंने अकादमी को गरीब और निर्धन बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रारंभ करने का सुझाव दिया, जिसे अकादमी प्रबंधन ने तुरंत स्वीकार की और इसकी घोषणा की। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि पूर्व में जब इंदौर जाती थी तब वहां पर लोक सेवा आयोग के संस्थान को देखती थी तो छिंदवाड़ा में भी ऐसी संस्थान होने की कल्पना की थी। ऐसी संस्थान का शुभारंभ करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। राज्यपाल ने श्री उत्तम स्वामी का स्वागत करते हुए कहा कि संतों और महापुरूषों के बोले गए शब्द सार्थक होते हैं और जीवन में जो इसे उतारता है, वह अवश्य सफल होता है। कोई व्यक्ति मानवीय संवेदनाओं के साथ काम करता है तो वह पूजा जाता है। मैंने भी संतों और महापुरूषों के वचनों को जीवन में उतारने का प्रयास किया है, तभी इतने बड़े पद का दायित्व संभालने का सामर्थ्य मुझमें आया।
राज्यपाल ने कहा कि सिविल सर्विस देश की सबसे सम्मानजनक सेवा मानी जाती है। इन कैडर के अधिकारी नीति निर्माण में भी सहयोग करते हैं और नीतियों का क्रियान्वयन भी करते हैं। उनके कंधों में कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने की जिम्मेदारी होती है। उन्हें समाज सम्मान की नजरों से देखता है। युवाओं में इस सेवा में जाने की प्रबल इच्छा होती है। मुझे आशा है कि इस अकादमी से यहां के युवाओं को संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी में उत्कृष्ट मार्गदर्शन मिलेगा और हमारे जिले से भी अधिक से अधिक युवा इन परीक्षाओं में चयनित होंगे। इस परीक्षा के तैयारी के दौरान अच्छी शिक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा ऐसा सशक्त माध्यम है, जो समाज में जागृति ला सकती है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति का शुभारंभ किया है, जिसमें हमारी परंपराओं तथा आधुनिक शिक्षा के समन्वय पर बल दिया है। देश की एक महत्वपूर्ण आबादी आदिवासियों की है, लेकिन वहां बच्चों को अगर दूसरी भाषा में शिक्षा देंगे तो वह कम ग्राह्य होगा। अतः नई शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाए।
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