जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आज जिले के सभी विकासखंड से आदिवासी संस्कृति से संबंधित साहित्यकार, काव्य रचनाकार, आदिवासी संस्कृति के संरक्षक व सामाजिक प्रतिनिधियों से आदिवासी समृद्ध संस्कृतियों के संरक्षण हेतु अभिलेखीकरण के लिए बैठक में चर्चा की गई। चर्चा में कहा गया कि आदिवासी संस्कृति, परम्परा को संरक्षित करने के लिए जिला स्तर में सामाजिक नीति-रीति के संबंध में बैठक करने की जरूरत है। जिससे इसके जानकार लोगों की सुझाव मिल सके। इस जिला स्तरीय बैठक में विभिन्न विषय-विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझाव पर अगामी दिनों में कार्य किया जाएगा। स्थानीय बोली में छपी पुस्तकें, आदिवासी संस्कृति से संबंधित पुस्तकों को अध्ययन हेतु जिला व ब्लॉक स्तर पर रखा जाएगा। अपनी संस्कृति का पहचान को आगे ले जाने के लिए नए जनरेशन को अवगत कराना होगा और संस्कृति का संरक्षण-संवर्धन करना होगा।
दंतेवाड़ा जिला सांस्कृतिक, विभिन्न पर्यटन स्थल व पर्यावरण क्षेत्र के रूप में अलग पहचान बनाएं हुए है। यह पहचान कुछ क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होना चाहिए आदिवासी संस्कृति अपने आप में समृद्ध है। इसकी जानकारी देने के लिए एक माध्यम होना आवश्यक है जो कि बस्तर क्षेत्र के संस्कृति, त्यौहारों, लोक-नृत्य, गीत, भाषा-बोली, व सामाजिक परम्पराओं को बताए। जिले की समृद्ध संस्कृति से नए जनरेशन को जोड़ने लिए स्कूलों और कॉलेजों में संस्कृति से संबंधित पुस्तकों की उपलब्ध कराने कहा। साथ ही मेला, बाजार में जन भागीदारी अधिक होती है इन जगहों में सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार भी का कार्य किया जाए।
यहां के एक अलग संस्कृति भाषा-बोली, रहन-सहन का अनुभव किया जा सकता है। इस क्षेत्र की संस्कृति को समझना हो तो यहां के साप्ताहिक बाजार का अवलोकन करना चाहिए। बैठक में श्री अखिलेश मिश्रा प्रभारी अधिकारी, बस्तर विकास प्राधिकरण,श्री आशीष बैनर्जी सहायक आयुक्त, आदिवासी संस्कृति और सामाजिक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।जिले के सभी विकासखंड से पधारे हुए आदिवासी संस्कृति से संबंधित साहित्यकार, काव्य रचनाकार, आदिवासी संस्कृति के संरक्षक व सामाजिक क्षेत्र के प्रबुद्ध जन द्वारा आदिवासी समृद्ध संस्कृतियों के संरक्षण हेतु अभिलेखीकरण पर अपने सुझाव प्रस्तुत किए गए।
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