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गौ काष्ठ से स्वावलंबन को मिलेगा आधार, मजबूत होगी अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार

छत्तीसगढ़ राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग किलोमीटर है जो देश के क्षेत्रफल का 4.1 प्रतिशत है। राज्य का वन क्षेत्र लगभग 59,772 किलोमीटर है जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 44.21 प्रतिशत है। ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत वृक्ष है। इसलिए वृक्ष पर ही हमारा जीवन आश्रित है।  यदि वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो किसी भी जीव जंतु का अस्तित्व नहीं रहेगा। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश के सभी 166 नगरीय निकायों के अंतर्गत होने वाले दाह संस्कार में गौ-काष्ठ के उपयोग को प्राथमिकता से करने का निर्देश जारी किया है। संयोगवश नगरीय प्रशासन मंत्री का निर्देश ठीक ऐसे समय पर आया है जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वायु प्रदूषण के चलते उतरी एवं मध्य भारतीय राज्यों में भारी आर्थिक क्षति होने की रिर्पोट जारी की जा रही थी। आईसीएमआर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने का जिक्र किया है। लासेंट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट इंडिया स्टेट लेबल डिजीज बर्डन इनीसिएटिव के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 फीसदी के बराबर की क्षति हो रही है। यह बहुत चिंता का विषय है। वायु प्रदूषण को लेकर ठोस रणनीति के साथ हम सबकों आगे आना होगा। छत्तीसगढ़ की सरकार ने समय रहते वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जो कदम उठाया है, वह प्रशंसनीय है। नगरीय प्रशासन द्वारा गौ काष्ठ के इस्तेमाल को नगरीय क्षेत्रों में बढ़ावा देने से एक ओर जहां वायु प्रदूषण में कमी आएगी वहीं एक दाह संस्कार के पीछे 20-20 साल के दो पेड़ कटने से बच जाएंगे। इस पहल से साल भर में लाखों पेड़ों की बलि नहीं चढ़ेगी और हमारी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।