आज आठ दिसंबर को किसानों के भारत बंद पर झारखंड में राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ सत्ताधारी दल कांग्रेस और झामुमो इस बंद का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आलोचना की है। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी मुख्यालय में सोमवार को कहा कि किसानों के हित में झारखंड में एक नए उलगुलान की शुरुआत होगी।
भारत बंद से इसका आगाज होगा। कार्यकर्ताओं को बंद सफल कराने का टास्क दिया गया है। उन्होंने व्यापारिक संस्थाओं से आग्रह किया कि वे बंद में सहयोग करें। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र के कृषि कानूनों को काला कानून बताया है। किसानों की रक्षा के लिए भारत बंद को सफल बनाने में झामुमो कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए इसे अनैतिक और असंवैधानिक बताया।कहा कि कृषि राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे संघीय सूची में डालकर कानून बना डाला। यह कानून असंवैधानिक है। झारखंड जैसे राज्य में कांट्रेक्ट फार्मिंग से भारी तबाही होगी। यहां से सब्जियां पूर्वी भारत के राज्यों में जाती हैं। इसपर पूंजीपतियों का अधिकार हो जाए तो नतीजे का अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत बंद के समर्थन में सबको सड़क पर उतरना चाहिए। यह अन्नदाताओं के अस्तित्व से जुड़ा है।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि देश में आजादी के बाद यह पहली पहली बार ऐसा हुआ है कि किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं, जिन अन्नदाताओं ने अब तक पेट भरने का काम किया है, उनके समर्थन में हर वर्ग को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंगलवार को किसान संगठनों के आह्वान पर भारत बंद को नैतिक समर्थन देते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता इसे सफल बनाने का काम करेंगे। प्रदेश से लेकर प्रखंड और पंचायत स्तर के पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतर कर किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद करने का निर्देश दिया गया है।
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