सुराजी तिहार के पावन बेरा मा मोर जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अउ लइका मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई।स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और अनाम नायकों, राष्ट्र की सुरक्षा और नवनिर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को मैं सादर स्मरण और नमन करता हूँ। हमारे लिए बहुत गौरव का विषय है कि सघन आदिवासी वन अंचल बस्तर में अमर शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर तथा मैदानी क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर आजादी की चिंगारी सुलगाई थी, जिसे बाद में लाखों लोगों ने मशाल में बदल दिया।
मेरा सौभाग्य है कि स्वाधीनता दिवस पर, प्राणों से प्यारे तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होकर, आप लोगों को पन्द्रहवीं बार सम्बोधित कर रहा हूं। महान लोकतंत्र हमें यह अवसर देता है कि प्रत्येक व्यक्ति, प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सके। लगातार तीन पारियों तक आपके सेवक के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला। हर दिन के काम-काज में आप सबका मार्गदर्शन और सहयोग मिला, इसके लिए मैं जीवनभर आप सभी का आभारी रहूंगा। प्रदेश के किसानों, मजदूरों, कामगारों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं, व्यवसायियों और हर वर्ग के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर अथक परिश्रम किया, जिसकी वजह से आज छत्तीसगढ़ विकास की बुलंदियों को छू रहा है। देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाली विभूतियों ने जो सपना देखा था, उसे हम सब मिलकर पूरा कर रहे हैं। अनेक उपलब्धियाँ हासिल करने से नए-नए लक्ष्य तय करने में मदद मिली है।
आज मेरी आंखों के सामने 7 दिसम्बर 2003 का वह दृश्य याद आ रहा है, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय आजादी के 56 साल बाद भी जनता भूख, भय, भ्रष्टाचार, बीमारियां, बेरोजगारी, दमन, शोषण, आतंक की वजह से त्रस्त थी। गांवों से शहरों तक हताशा ने पैर पसार लिए थे। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर पूरा गांव पलायन के लिए उमड़ पड़ता था, क्यांकि गांवों की हालत बेहद खस्ता थी। सिंचाई, खाद, बीज, पानी, कृषि ऋण, बिजली, सड़क, नहर-नाली, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने किसानों और ग्रामीणों की कमर तोड़ दी थी। लाखों अन्नदाताओं केे माथे पर डिफाल्टर होने का तमगा चिपका दिया गया था, उन्हेें न तो सम्मान की जिंदगी मिल रही थी, न पेट भर अनाज। छत्तीसगढ़वासियों के आत्मसम्मान और अस्मिता पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। विकास की उम्मीद तो दूर की कौड़ी थी, जिंदगी के लाले पड़ गए थे। हमें विरासत में क्या मिला था-
ऐसी विकट परिस्थितियों में मुझे छत्तीसगढ़ राज्य के जनक अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी मिली थी। जब समस्याओं के पहाड़ के ऊपर खड़े होकर मैंने नजरें दौड़ाई तो घटाटोप अंधेरे में एक आशा की किरण दिखाई पड़ी जो ‘अंत्योदय’ की अवधारणा से निकल रही थी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के इस सूत्र ने राह दिखाई कि समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति के दुःख-दर्द में भागीदार बनो, उसे राहत पहुंचाओ, उसे हौसला दो, उसका हाथ थामकर आगे बढ़ाओ। इस तरह अंत्योदय हमारी तमाम नीतियों और योजनाओं का आधार बना।
भाइयों और बहनों, तब मैंने कहा था कि ‘गांव-गरीब और किसान’ मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे। मैंने ‘सबके साथ-सबका विकास’ का संकल्प लिया था तो उसके बाद कभी मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। मुझे जनता का बेशुमार प्यार मिला, सहयोग मिला, विश्वास मिला और ऐसा रिश्ता बना, जिसे मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानता हूँ। निरन्तर तीन पारी सेवा का सौभाग्य मिलने की वजह से हमारी सरकार की नीतियों और सुशासन की निरंतरता बनी रही। हमने इस स्थिति को गहराई से देखा कि अधिक लागत और उपज का कम दाम मिलने का चक्रव्यूह तोड़े बिना किसानों का भला नहीं हो सकता। किसान भाई विवश होकर मुझे बताते थे कि महंगा कृषि ऋण लेकर वे दुष्चक्र में फंस चुके हैं और उनके भविष्य के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे किसान भाइयों को तात्कालिक लाभ देने के लिए हमने समय-समय पर अल्पकालीन ऋण माफ किया। अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए दिल और सरकार के खजाने खोल दिए। कृषि उपजों की उत्पादकता, उत्पादन, उपार्जन और वितरण प्रणाली की पूरी श्रृंखला में सुधार का महाअभियान चलाया। सिंचाई पम्पों की संख्या 72 हजार से बढ़ाकर लगभग 5 लाख तक पहुंचा दी, निःशुल्क बिजली दी, धान खरीदी केन्द्रों की संख्या दोगुनी की, पारदर्शी और ऑन लाइन प्रणाली लागू की व तुरंत भुगतान का इंतजाम किया। बिना ब्याज के कृषि ऋण दिया। कई तरह के अनुदान और सब्सिडी दी। 15 वर्षों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और बोनस की राशि मिलाकर किसानों के घर लगभग 76 हजार करोड़ रूपए पहुंचाए।
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य, एकमुश्त 200 रूपए प्रति क्विटल बढ़ाने का जो अभूतपूर्व निर्णय लिया है, उससे हमारी धानी धरती के किसानी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ से जो सुरक्षा कवच दिया गया था, उसके कारण हमारे 5 लाख 63 हजार किसानों को 1 हजार 295 करोड़ रूपए से अधिक का दावा भुगतान मिला है, जो अपने-आप में एक कीर्तिमान है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य जरूर पूरा होगा।
राजधानी में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने ध्वजारोहण किया. ध्वजारोहण के बाद मुख्यमंत्री ने 22 टुकड़ियों की सलामी ली और परेड का निरीक्षण किया. परेड की कमांड आईपीएस सिद्धार्थ तिवारी ने की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने प्रदेश की जनता को बधाई दी उन्होंने कहा कि जिस आज़ादी के लिए हमारे देश के वीरों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था हम उनके सपनों का समृद्ध व खुशहाल भारत बनाने की दिशा में अग्रसर हैं
उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास संकल्प के साथ संकल्प लिया और उसके बाद कभी वापस मुड़कर नही देखा गांव गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि विकट परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ के जनक अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी मिली थी
डॉ रमन सिंह ने कहा कि मुझे विकास के चमकते हुए कलश पर मजदूरों का चेहरा दिखता है. विकास की बड़ी बड़ी इमारतों में पसीने से लिखी हुई इबारतें दिखती है इसलिए मुझे देखकर बुरा लगा था कि प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण के लिए 56 वर्षों में कोई ठोस योजना नही बनाई गई थी. हमने 30 लाख से अधिक श्रमिको का पंजीयन किया. जो काम 56 सालो में नही हुआ वो हमने 15 साल में कर के दिखाया है वर्ष 2003 में हमारे द्वारा अभी तक किये गए कार्यो को विजन के तौर पर बताता तो शायद इसे ख्याली पुलाव कहकर मजाक उड़ाया जाता था लेकिन हमने वह सब कुछ कर दिखाया है जो 2003 में कोरी कल्पना कहलाता. हम संकल्प लेते है कि जब छग अपनी रजत जयंती मनाएगा तब 25 साल के नौजवान छत्तीसगढ़ की जीएसडीपी आज से दुगुनी होगी. प्रति व्यक्ति आय भारत के 5 अग्रणी राज्यो के शामिल होंगी
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