जिन्ना कन्वर्र्टेड मुस्लिम थे। उनके पूर्वज हिन्दू थे। कांग्रेस छोड़कर सत्ता की लालसा में उन्होंने मुस्लिम लीग की स्थापना की। जिन्ना और नेहरू अपने–अपने देश के प्रमुख बनने की लालसा में देश का विभाजन स्वीकार किया।
सत्ता की लालसा में ही इंदिरा गांधी ने कांग्रेस को विभाजित कर इंदिरा कांग्रेस बनाया था।
पिछले दरवाजे से सत्ता पर काबिज होने की दृष्टि से ही इटली ऑरिजन सोनिया गांधी ने एनाउंस कर नाटक रचा।
अब यही नाटक बहुरूपीये जनेउधारी राहुल गांधी कर रहे हैं। जयपुर मेें उन्होंने ये जयपुर ही है जहां 6 साल पहले राहुल गांधी ने सत्ता को जहर बताते हुए उपाध्यक्ष का पद संभाला था. लेकिन अब बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी उसी जयपुर के जरिए राहुल गांधी पहले विधानसभा और फिर लोकसभा में सत्ता हासिल करने की कवायद करते हुए २०१९ के लोकसभा चुनाव में महाठगबंधन के जरिए पिछले दरवाजे से या सामने के दरवाजे से सत्ता हथियाना चाहते हैं।
इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि नेहरू–गांधी डायनेस्टी के वंशज सत्ता प्राप्ति के लिये आत्म केंद्रित कुटिल विभाजनकारी राजनीति करते रहे हैं।
तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने पणजी गोवा में कहा कि महात्मा गांधी चाहते थे कि मोहम्मद अली जिन्ना देश के शीर्ष पद पर बैठे, लेकिन पहला प्रधानमंत्री बनने के लिए जवाहरलाल नेहरू ने ‘आत्म केंद्रित रवैयाÓ अपनाया।
दलाई ने दावा किया कि यदि महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया गया होता तो भारत का बंटवारा नहीं होता।
परंतु लगता है 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राहुल गांधी का सफर शुरू होने से पहले ही खत्म।
राहुल के सपनों को लगाई है आग आप पार्टी ने भी।
राज्सभा के उपसभापति चुनाव के संबंध में बोलते हुए संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस तंगदिली से राजनीति करती है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में हमने कांग्रेस द्वारा घोषित उम्मीदवार को बिना मांगे वोट दिया था। लेकिन कांग्रेस ने इसके लिये शुक्रिया अदा करने की औपचारिकता भी नहीं निभायी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह रवैया विपक्ष की एकता के लिये नुकसानदायक है। व्यापक हित में यह ठीक नहीं है। ऐसे में आप पार्टी कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं डालेगीे।
वहीं सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि कुछ अपवादों को छोड़ कर उपसभापति पद पर कभी चुनाव नहीं हुआ। सभी दल सर्वसम्मति से उपसभापति का चयन कर लेते हैं। यादव ने इस पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि कांग्रेस की तरफ से यूपीए के घटक दल के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाने की बात थी। लेकिन अंतिम क्षण में अपने ही दल के सदस्य को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सॉफ्ट हिंन्दुत्व अर्थात बहुरूपीये जनेऊधारी ब्राम्हण का चेहरा दिखाते हुए विधानसभा चुनाव लडऩे जा रही है।
एक तरफ जनेऊधारी ब्राम्हण का चेहरा और वहीं हृदय में मुस्लिम टोपी पहने राहुल गांधी नेहरू भी इसी प्रकार से हिन्दू टोपी का त्याग नहीं किये अपने नाम के आगे पंडित शब्द भी जोड़े रहे और कहते रहे कि वे घटनावश हिन्दू हैं, संस्ूकृति से मुस्लिम हैं और शिक्षा से अंग्रेज हैं। यही घोल–मेल धोखेबाजी का नाम नेहरू–गांधी डायनेस्टी…
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