पुष्य नक्षत्र के बाद खरीदी का दूसरा महामुहूर्त धनतेरस के साथ दीपावली की शुरुआत आज से हो गई। इस वर्ष धनतरेस 12 और 13 नवंबर को रहेगी। इस दिन जहां सुख-समृद्धि की देवी लक्ष्मी और कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि का पूजन होगा, वहीं शहरभर के बाजार खरीदारों से गुलजार होंगे और धनतेरस पर धन बरसेगा। इस अवसर पर हर घर-आंगन दीपों की रोशनी से रोशन होगा। ज्योतिर्विद आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इस मौके पर शगुन के बर्तन के साथ सोना-चांदी भूमि, भवन, दुकान, वाहन सहित चल-अचल संपत्तियों की खरीदी दोनों ही दिन मंगलकारी रहेगी। धनतेरस को 12 के पक्ष में मनाने के सहमत विद्वानों का कहना है कि 12 को द्वादशी तिथि शाम 6:18 बजे तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि लगेगी। प्रदोषकाल में त्रयोदशी रहने से इस दिन ही धनतेरस मानी जानी चाहिए।
इधर 13 नवंबर को धनतेरस मानने के पीछे विद्वानों का तर्क है कि त्रयोदशी तिथि 12 को रात 9:33 बजे शुरू होगी जो 13 नवंबर को शाम 6:01 बजे तक रहेगी। 13 को त्रयोदशी उदयाकाल और प्रदोषकाल दोनों समय रहेगी। इसके चलते 13 को धनतेरस मनाई जानी चाहिए। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बनेगा। इसके अलावा 13 को धनतेरस मानी जाती है तो पांच दिनी दीपावली इबार चार दिन की हो जाएगी।
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