नई दिल्ली: ससंद के मॉनसून सत्र का तीसरा दिन कई मायनों में खास और यादगार रहा. विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाण तो चले ही, मगर कई ऐसे नजारे देखने को मिले, जिस पर सहसा विश्वास नहीं किया जा सकता हैं अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में एक ओर जहां कांग्रेस ने पीएम मोदी और उनकी सरकार पर कई आरोप लगाए और सवालों की बौछारें कीं, वहीं पीएम मोदी और मोदी सरकार की ओर से कांग्रेस के सवालों और आरोपों पर जवाब दिये गये और कई समस्याओं को लेकर कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया गया. लोकसभा में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने ताबड़तोड़ हमले किये और रोजगार से लेकर एमसएपी और राफेल पर मोदी सरकार को घेरा. मगर बाद में जब पीएम मोदी की बारी आई, तो उन्होंने भी राहुल गांधी के सवालों का जमकर जवाब दिया. इतना ही नहीं, राहुल गांधी के आंख मिलाने वाली बात पर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला और इतिहास बोध कराते हुए कांग्रेस को ही कठघरे में ला खड़ा किया. दरअसल, राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बोलते हुए पीएम मोदी पर प्रहार किया और कहा कि पीएम मोदी उनसे आंख भी नहीं मिला सकते. इसके जवाब में पीएम मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “आपकी आंखों में आंखें डालकर हम नहीं बोल सकते, आप नामदार हैं और हम कामदार हैं. हम आपकी तरह सौदागर या ठेकेदार नहीं हैं, हम देश के गरीबों, युवाओं और आकांक्षी ज़िलों के सपनों के भागीदार हैं.”
शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष के सवालों के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि ‘कांग्रेस ने देश में अस्थिरता फैलाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का दुरुपयोग किया. इस प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद बयान दिया गया कि कौन कहता है हमारे पास नंबर नहीं है. 1998 याद कीजिए जब राष्ट्रपति भवन के सामने खड़े होकर दावा किया गया था कि हमारे पास 272 की संख्या है. और अटल जी की सरकार को सिर्फ एक वोट से गिरा दिया गया. फिर 272 की संख्या का दावा खोखला निकला. आखिर स्थिर जनादेश अस्थिर करने के लिए खेल खेले जा रहे हैं, राजनीतिक अस्थिरता के द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना कांग्रेस की प्रवृति रही है.’पीएम मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने आंख मिलाने वाले बयान पर कहा कि कांग्रेस ने बड़े-बड़े नेताओं का अपमान किया है, जब जब बड़े-बड़े नेता कांग्रेस की आंख में आंख नहीं डाल सके तो वह कैसे डाल सकते हैं. पीएम मोदी ने जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह का भी अपमान किया. चंद्रशेखर के साथ भी ऐसा ही किया. पहले संयोग की रस्सी फेंको फिर धोखे से उसे वापस खींचो. यही फॉर्मूला 1997 में अपनाया गया. पहले देवेगौड़ा जी को, फिर इंद्र कुमार गुजराल जी की बारी आई. कांग्रेस ने इन लोगों के साथ क्या किया कौन भूल सकता है. कैसे कांग्रेस ने अपनी सरकार बचाने के लिए दो-दो बार विश्वास को खरीदने का प्रयास किया. वोट के बदले नोट यह खेल कौन नहीं जानता है. पीएम मोदी ने आगे व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि आज यहां एक बात कही गई, यहां पूछा गया प्रधानमंत्री अपनी आंख में मेरी आंख भी नहीं डाल सकते. सही कहा- हम कौन होते हैं जो आपकी आंख में आंख डाल सकें. मैं तो गरीब मां का बेटा हूं, गांव से आया, पिछड़ी जाति से आता हूं. आप नामदार हम कामदार हैं. इतिहास गवाह है. जेपी ने यह कोशिश की तो क्या किया गया, सुभाषचंद्र बोस, चौधरी चरण सिंह, सरदार बल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की, प्रणब मुखर्जी ने यह कोशिश की, शरद पवार ने भी यह कोशिश की थी तो क्या किया गया. आंख में आंख डालने वालों को कैसे अपमानित किया जाता है, इसका इतिहास नया नहीं है. हम तो कामदार हैं तो हम नामदार से आंख कैसे मिला सकते हैं. आंखों की बात करने वालों के आंखों की हरकत आज पूरा देश देख रहा है. लेकिन आंख में आंख डालकर आज सत्य को कुचला गया है.
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