Article – 13 oct 2020
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है । अमेठी से हार के उपरांत राहुल गांधी कांगे्रस के अलगाववाद के रथ पर चढ़कर दक्षिण भारत के वायनाड की ओर कूच किये थे। अलगाववाद की दुर्गंध फैलाने के उद्देश्य को लेकर।
वायनाड केरल एक ऐसा जिला है, जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से कम है। ये मुस्लिम लीग का एक बड़ा गढ़ माना जाता है। मुस्लिम लीग कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है। वायनाड जिले में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जैसे पीएफआई, जमात-ए-इस्लामी से खुलकर मदद मिलने की उम्मीद है। यहां पर ये जिहादी संगठन हिंदू संस्थाओं के खिलाफ एक तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं। वायनाड में नक्सलियों का भी काफी दबदबा है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि नवाज शरीफ पाकिस्तान के जब पुन: प्रधानमंत्री बने तक उसकी खुशी में मुस्लिम लीग और कांग्रेस ने केरल में जगह-जगह पर नवाज शरीफ के स्वागत में पोस्टर लगाये थे।
ठीक इसके विपरीत भाजपा राष्ट्रवाद की अलख जगाती हुई अब दक्षिण भारत में अपनी विजय पताका फहरा रही है। कर्नाटक में पुन: विजय प्राप्ति के बाद अब २०२१ में विधानसभा चुनाव तमिलनाडू में होने जा रहे हैं उस दृष्टि से राष्ट्रवाद के कमल में रजनीकांत और खुशबू की महक कमल मेें समाहित होने जा रही है।
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस पर तब भी तीखा हमला बोला था जब भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में माओवादियों से रिश्ते रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों का मुद्दा उठा था. भाजपा नेताओं इसे शहरी नक्सलियों के मुद्दे से जोड़ा और कांग्रेस से पूछा कि वो ऐसे लोगों का बचाव क्यों कर रही है.
दरअसल राष्ट्रवाद बीजेपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करना चाहती है.
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा की नीति सफल होते देख अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को और छुटभईये नेताओं को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने की योजना बना रही है। परंतु कांग्रेस यह भूल जाती है की राष्ट्रवाद शिक्षा से नहीं खून में बसा रहता है। रग-रग में बसा रहता है।
भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ राष्ट्रवाद की मुहिम जेएनयू की घटनाओं के समय से ही शुरू कर दी है. भाजपा के नेता कांग्रेस पर कथित तौर पर देश के टुकड़े करने के मंसूबे बनाने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग का साथ देने का आरोप लगाते रहे हैं. एनआरसी का मुद्दा हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक का. बीजेपी ऐसे हर मुद्दे पर कांग्रेस को घेरे में लेती रही है जिस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया शुरुआती उलझन का शिकार दिखती है. यही वजह है कि बीजेपी इन्हें राष्ट्रवाद से जोड़ कर कांग्रेस पर निशाना साधती है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने राहुल गांधी की कैलास मानसरोवर यात्रा पर यह कहते हुए भी हमला बोला था कि वहां जाते समय उनसे मिलने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर उनसे मिलने के लिए भारत में चीनी राजदूत ने मिलने के लिए विदेश मंत्रालय से इंतजाम करने को क्यों कहा था. बीजेपी राहुल के तथाकथित चीनी प्रेम को लेकर सवाल उठा चुकी है.
पीएम मोदी ने भी एक साक्षात्कार में २०१९ के लोकसभा चुनाव के समय कहा था :
चुनाव में बालाकोट के जरिए राष्ट्रवाद को हथियार बनाने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया में एक छोटा सा वर्ग है, या यूं कहें कि कुछ हाइपर सेक्यूलर हैं. इन लोगों ने किसी भी चीज में से सरकार और मोदी को घेरने का तौर तरीका बनाया हुआ है.
राजमाते विजयराजे सिंधिया की 100 जयंती पर सिक्का जारी करते पीएम मोदी
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राजमाता विजया राजे सिंधिया के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन दिवस समारोह के अवसर पर विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि, “पिछली शताब्दी में भारत को दिशा देने वाले कुछ एक व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं। राजमाताजी केवल वात्सल्यमूर्ति ही नहीं थीं। वो एक निर्णायक नेता थीं और कुशल प्रशासक भी थीं।” देश के लिए दिए गए राजमाता द्वारा बलिदान पर पीएम मोदी ने कहा कि, “राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था। देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने अपना हर सुख त्याग दिया था।राजमाता ने पद और प्रतिष्ठा के लिए न जीवन जीया, न राजनीति की।” पीएम मोदी ने कहा कि, “राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। गाँव, गरीब, दलित-पीडि़त-शोषित-वंचित, महिलाएं आज देश की पहली प्राथमिकता में हैं।”
ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांगे्रस छोड़ भाजपा में शामिल हुए तब राहुल गांधी ने यह कहा था कि वे जानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया किस विचारधारा के हैं। उनका कहने का तात्पर्य यह है कि वे आरएसएस के सिद्धांतों के विरूद्ध हैं।
इस संदर्भ में मैं ये कहना चाहता हूं कि वे आरएसएस के स्वयं सेवक भले ही न हों और भले ही वे अपने पिता जी की मृ़त्यु के बाद चूंकि वे कांगे्रस में थे इसलिये उनकी विरासत को सम्हालने के लिये वे 18 वर्ष कांग्रेस में रहे हों परंतु उन्होंने राष्ट्रीयता की भाव
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दक्षिण भारत में ऐसे बढ़ चला बीजेपी का विजय-रथ
जब जबरन छूने की कोशिश में खुशबू सुंदर ने आदमी को जड़ा था थप्पड़
आज भाजपा में शामिल हो कांग्रेस पर जड़ा है जोरदार तमाचा
लेख : राजेश अग्रवाल
रजनीकांत की चर्चा बहुत दिनों से चल रही है कि वे भाजपा में शामिल होंगे।आज दक्षिण भारत की प्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू भी भाजपा में शामिल हो चुकी है
दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में जिस तरह बीजेपी ने जीत हासिल की। वह ऐतिहासिक है। कर्नाटक की 28 सीटों में से बीजेपी ने 25 सीटें जीत ली। उसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल हुए।
इस जीत ने कर्नाटक में बीजेपी के पैर जमा दिये हैं। इस जीत से पता चलता है कि एक साल पहले 2018 में मई के महीने में ही कर्नाटक की येदियुरप्पा ने मात्र तीन दिन में ही इस्तीफा क्यों दे दिया था। आखिर क्यों नहीं उन्होंने जोड़ तोड़ करके कर्नाटक में अपनी सरकार नहीं बचाई? जबकि वह 104 विधायकों के साथ राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी। उसे 222 सीटों वाली विधानसभा बहुमत के लिए मात्र 8 विधायकों की ही दरकार थी।
दरअसल कर्नाटक में बीजेपी येदियुरप्पा सरकार की कुर्बानी नहीं देती तो लोकसभा में उसे इतनी बड़ी जीत हासिल नहीं होती। कर्नाटक में कुमारस्वामी और कांग्रेस के झगड़े ने उनकी सरकार को इतना अलोकप्रिय कर दिया था कि जनता ने ऊबकर लोकसभा में बीजेपी को चुन लिया।
इसके अलावा दक्षिण भारत के एक और बड़े राज्य आंध्र प्रदेश में बीजेपी को तो जीत नहीं मिली। लेकिन उसकी गठबंधन सहयोगी वाईएसआर कांग्रेस को जबरदस्त जीत हासिल हुई।
आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। वहां एनडीए में बीजेपी की सहयोगी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को 22 सीटें हासिल हुई। उसे 50 फीसदी से थोड़े ही कम वोट हासिल हुए।
आंध्र प्रदेश में विधानसभा के चुनाव भी लोकसभा के साथ ही हुए थे। उसमें भी जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने बाजी मार ली। आंध्र में विधानसभा की 175 सीटों में से उनकी पार्टी को 147 सीटों पर जीत हासिल हुई।
विधानसभा में भी वाईएसआर कांग्रेस को 50 फीसदी वोट मिले।
दक्षिण भारत में बीजेपी के लिए तेलंगाना की जीत अप्रत्याशित थी। यहां लोकसभा की 17 सीटों में से बीजेपी को 4 सीटें मिलीं। आदिलाबाद,करीमनगर,निजामाबाद,सिकंदराबाद की यह मात्र 4 सीटें नहीं हैं। इनका महत्व काफी ज्यादा है। तेलंगाना की चार सीटों पर जीत का अर्थ यह है कि इस राज्य का जनता ने पीएम मोदी का संदेश समझा है। इसलिए भविष्य में यहां बीजेपी और सीटें हासिल कर सकती है।
केरल में बीजेपी ने सीटें नहीं जीती। लेकिन उसके उम्मीदवारों ने कांग्रेस और वामपंथी उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी। तिरुअनंतपुरम जैसी प्रतिष्ठित सीट पर तो एक बार शशि थरुर खतरे में पड़ गए थे।
तमिलनाडु में बीजेपी की रणनीति :
खुशबू का फिल्मी सफर
खुशबू का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्होंने बतौर बाल कलाकार अपना करियर शुरू किया. बॉलीवुड में कई फिल्में कीं लेकिन खास सफलता नहीं मिली. उसके बाद, 1986 में उन्होंने तमिल सिनेमा की राह पकड़ ली. तब से जैसे उनकी किस्मत ही बदल गई. एक के बाद एक उनकी फिल्में हिट होती गईं. तमिल सिनेमा के अलावा उन्होंने मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया.
फैन्स का मिला भरपूर प्यार
फैन्स के बीच खुशबू खूब पॉपुलर हुईं. लोगों ने उनका मंदिर बनवा दिया. उनके नाम पर दर्जनों चीजों के नाम रखे जाने लगे, जैसे खुशबू साड़ी और खुशबू कॉफी. वैसे भी तमिलनाडु में फिल्म स्टार्स के लिए लोगों की दीवानगी अक्सर देखने को मिलती है. रजनीकांत की जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है, तब उनके बड़े-बड़े कटआउट्स को दूध से नहलाया जाता है.
खुशबू 10 साल में तीन पार्टी बदल चुकी हैं. कांग्रेस की प्रवक्ता भी रही हैं. बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जानी जाती हैं. ऐसा माना जा रहा है कि साल 2021 में जो विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें खुशबू का बड़ा रोल हो सकता है. बीजेपी के लिए तमिलनाडु एक अवसर की तरह है क्योंकि जयललिता की मृत्यु के बाद ्रढ्ढ्रष्ठरू्य दो-फाड़ दिख रही है. करुणानिधि की मृत्यु के बाद ष्ठरू्य भी पहले जैसी ताकतवर नहीं है. राज्य में कांग्रेस की बहुत अधिक पैठ नहीं है, ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि वो राज्य में अपना प्रदर्शन सुधार लेगी.
जब जबरन छूने की कोशिश में खुशबू सुंदर ने आदमी को जड़ा था थप्पड़
कांग्रेस ने बेंगलुरु सेंट्रले से रिजवान अरशद को टिकट दिया है. खुशबू रिजवान के लिए ही 10 अप्रैल 2019 के दिन बेंगलुरु के इंदरनगर में रैली कर रही थीं. कई सारे लोग मौजूद थे. रिपोट्र्स के मुताबिक खुशबू के पीछे चलने वाले एक आदमी ने उन्हें जबरन छूने की कोशिश की. जिसके बाद वो पीछे पलटीं, और उस आदमी को उन्होंने चाटा जड़ दिया. वहां मौजूद पुलिस ने आदमी को वहां से अलग किया. अब क्योंकि खुशबू ने आदमी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी, इसलिए पुलिस ने उसे वॉर्निंग देकर छोड़ दिया. इसी घटना का वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.
कौन हैं खुशबू?
एक्ट्रेस हैं, और राजनेता भी हैं. चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर इन्होंने फिल्मों में एंट्री की थी.1980 में एक फिल्म आई थी ‘द बर्निंग ट्रेनÓ, जिसमें एक गाना था ‘तेरी है जमीं, तेरा आसमांÓ. इस गाने में कई सारे बच्चे थे, इन बच्चों में से एक खुशबू थीं. फिर 1980 से लेकर 1985 के बीच, खुशबू ने कई हिंदी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम कि
Óबोल बेबी बोलÓ गाने का स्क्रीनशॉट
द्धह्लह्लश्चह्य://222.4शह्वह्लह्वड्ढद्ग.ष्शद्व/2ड्डह्लष्द्ध?1=4_ष्ठद्भ2ह्ल&2रूष्ट
1985 में ‘मेरी जंगÓ फिल्म आई थी. इसमें खुशबू ने जावेद जाफरी के साथ ‘बोल बेली बोलÓ, गाने पर डांस किया था. खुशबू ने पहला लीड रोल 1985 में आई फिल्म ‘जानूÓ में निभाया था. 1990 में एक फिल्म आई थी ‘दीवाना मुझ सा नहींÓ, इस फिल्म में खुशबू ने एक गाना किया था, ‘सारे लड़कों की कर दो शादीÓ. ये गाना बहुत फेमस हुआ था. नॉर्थ इंडिया में होने वाली कोई भी शादी के फंक्शन में ये गाना जरूर बजता था.
बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में काम करने के बाद खुशबू साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में चली गईं. जहां उन्होंने कई सारी फिल्मों में काम किया. लोगों को उनका काम बहुत पसंद आया. इतना पसंद आया कि उनके फैन्स ने उनके नाम पर नाम पर एक मंदिर तक बना दिया. खुशबू को तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉड्र्स फॉर बेस्ट एक्ट्रेस भी मिल चुका है.
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2019 में जब वायनाड में राहुल गांधी पर्चा भरने पहुँचे तो ‘इस्लामिक झंडेÓ लहराकर हुआ उनका स्वागत
वायनाड में यूडीएफ की कांग्रेस की सहयोगी मुस्लिम लीग का ज्यादा दबदबा है। लीग ने जमाते इस्लामी,पापुलर फ्रंट आफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के साथ समझौता किया हुआ है। इसलिए राहुल गांधी मुस्लिम लीग,जमात और सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी के मिले जुले उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। क्या कांग्रेस ने इस बात पर विचार किया है कि इन उग्रवादी संगठनों के साथ गठबंधन करना राष्ट्रीय स्तर पर उपयुक्त रहेगा या नहीं?
साल 2009 में परिसीमन के बाद सियासी अस्तित्व में आई उत्तरी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से जब राहुल गांधी पर्चा भरने पहुँचे तो लोगों ने ‘इस्लामिक झंडेÓ लहराकर उनका स्वागत किया।
कांग्रेस के रोड शो में केरल में पार्टी की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के झंडों से विवाद खड़ा कर दिया । आईयूएमएल का झंडा पाकिस्तान के झंडे जैसा है।
इस बात का संज्ञान लेते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मुस्लिम लीग के झंडे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधा। रुड़की में एक रैली में योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘देश के दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारे की जिम्मेदार मुस्लिम लीग और कांग्रेस थी। आज राहुल गांधी वायनाड से नामांकन कर रहे हैं और वहां भी कांग्रेस का मुस्लिम लीग से गठबंधन है। ये देश को कहां ले जाएगा। ये चिंता का विषय है।Ó
पीएम मोदी ने एक रैली में राहुल का भी बिना नाम लिए कहा, ‘कुछ लोग हिंदुओं से इतना घबरा गए हैं कि अल्पसंख्यक बहुल सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें हिंदू बहुल सीट से हार ना झेलनी पड़े।Ó
इससे पहले, हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले सेना के पूर्व अधिकारी मेजर सुरेंद्र पूनिया ने राहुल के रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे दिखने को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, ‘आज जिन्ना की आत्मा कब्र में भी खुश हो रही होगी। 1947 में भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग से बनी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग वायनाड में राहुल गांधी का समर्थन कर रही है। स्मृति ईरानी जी, अगर अमेठी में हुर्रियत होती तो उसका भी समर्थन ले लेते ये लोग।Ó
केरल में मुस्लिम लीग की सहयोगी पार्टी है जमाते इस्लामी। पिछले दिनो केंद्र सरकार ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया । इस संगठन पर देश विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में जुटे होने के साथ आतंकियों के साथ करीबी संबंध रखने का भी आरोप है। इस अलगाववादी संगठन को नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला भी बताया गया है। हाल ही में पुलवामा हमले के बाद जमात-ए-इस्लामी के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया था। यही जमाते इस्लामी भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किए हुए है।
मुस्लिम लीग से गठबंधन करने वाला एक और मुस्लिम संगठन है दक्षिण भारत का मुस्लिम कट्टरतावादी संगठन है पीएफआई। वास्तव में यह एक संगठन होने के साथ—साथ कई कट्टरवादी संगठनों का पोषण भी करता है। इसके पास नए—नए रास्तों से अकूत धन आता रहता है।
इस्लामी गुट पीएफआई को कई संगठनों से आर्थिक मदद मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पीएफआई के अखबार ‘तेजसÓ को चलाने के लिए खाड़ी देशों से पैसा मिलता है। यह पैसा केरल के उन मुसलमान कामगारों से आता है, जो खाड़ी में काम करते हैं और पीएफआई के समर्थक हैं।
वायनाड केरल एक ऐसा जिला है, जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से कम है। ये मुस्लिम लीग का एक बड़ा गढ़ माना जाता है। मुस्लिम लीग कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है। वायनाड जिले में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जैसे पीएफआई, जमात-ए-इस्लामी से खुलकर मदद मिलने की उम्मीद है। यहां पर ये जिहादी संगठन हिंदू संस्थाओं के खिलाफ एक तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं। वायनाड में नक्सलियों का भी काफी दबदबा है।
राहुल गांधी को उम्मीद है कि वायनाड के मुसलमान, ईसाई और नक्सली मिलकर उन्हें वोट देंगे। जिससे वो यहां पर बहुत बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं।
जमाते इस्लामी,पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया जैसे संगठनों का चरित्र और इतिहास देखने पर तो यही लगता है कि वायनाड में राहुल गांधी सांप्रदायिक,मुस्लिम कट्टरतावादी अलगाववादी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार होंगे।
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