राजस्थान में पुजारी की हत्या मामले में एक बार फिर आज तक की बेशर्मी से भरी
पत्रकारिता देखने को मिली है। आज तक ने पहले तो पुजारी की हत्या को आत्मदाह
बताया फिर उसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिमेदार ठहरा दिया। आज तक ने इस हत्या
के मामले में राजस्थान की कांग्रेस सरकार का बचाव करते हुए कहा कि अगर पुजारी को
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत मिला होता तो वह छह्रश्वपर में आत्मदाह करके नहीं
मरता। कांग्रेसी सरकार के बचाव में आज तक के पक्षकार के इस तरह के कुतर्क से लोग
सकते में है।
असल में राजस्थान के करौली जिला के बूकना गांव में जमीन विवाद को लेकर एक पुजारी
बाबूलाल वैष्णव को जिंदा जला कर मार डाला गया। राधाकृष्ण गोविन्द मंदिर के पुजारी बाबूलाल
वैष्णव ने अस्पताल में मौत से पहले ही आरोपित कैलाश मीणा का नाम ले लिया था, इसके बावजूद
आरोपी को गिरतार करने में पुलिस ने 24 घंटे का समय लगा दिया। करीब 5 हजार की आबादी
वाले इस बूकना गांव के इस 200 साल पुराने मंदिर में पुजारी बाबूलाल वैष्णव कई साल
पूजापाठ करते आ रहे थे। पुजारी की गुजर-बसर के लिए गांव के लोगों ने कुछ जमीन मंदिर के नाम
कर रखी थी। पंचायत ने भी यह जमीन मंदिर के नाम करवा देने की सहमति दे दी थी। हालांकि
कैलाश मीणा के परिवार ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन पंचों ने पुजारी के पक्ष में फैसला
दिया। सात अटूबर को कैलाश मीणा और उसके परिवार के कुछ लोग जब इस समतल की हुई
जमीन पर कजा करने पहुंचे तो पुजारी ने इसका विरोध किया। इस बात को लेकर वाद-विवाद
हुआ और कैलाश मीणा ने अपने साथियों के साथ मिलकर बाबूलाल वैष्णव पर पेट्रोल छिड़क कर
आग लगा दी।
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