कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो दाल-रोटी भी ठीक से नहीं खा पा रहे हैं। बाजार में लूट मची है। जमाखोर दुगुने-तिगुने दाम पर मूलभूत जरूरत की चीजें बेचकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। उनके कारण गरीब आदमी खून के आंसू रो रहा है। विशेषकर खाद्य तेलों और दालों की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है। खाद्य तेलों में 10 रुपये से लेकर 20 रुपये लीटर तक दाम बढ़ गए हैं, जबकि ग्राहकी अभी भी कमजोर बनी हुई है। वहीं राहर दाल की कीमतों में 30 रुपये किलो की तेजी आई है। जमाखोर लोगों को लूट रहे हैं। महंगाई बढ़ने से हालांकि ग्राहकी कम है, लेकिन दाल,तेल जैसी मूल जरूरत की चीजें आदमी खरीदता ही है। इन चीजों के उसे काफी दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
कारोबारियों की मानें तो खाद्य तेलों में तेजी विशेषकर सरसों तेल में तेजी के पीछे सरकार की आई नई पालिसी है। नई पालिसी के तहत अब सरसों के तेल में किसी भी प्रकार से दूसरे तेल की मिलावट नहीं की जा सकती। इसके चलते सरसों तेल में सरसों की खपत काफी बढ़ गई है और सरसों की कीमतों में भी पांच से आठ रुपये किलो तक की तेजी आई है। थोक में 3800 से 4000 रुपये क्विंटल बिक रहा सरसों अब 4200 से 4500 रुपये क्विंटल बिक रहा है। इन दिनों सरसों तेल 20 रुपये लीटर तक महंगा हो गया है और राइस ब्रान व दूसरे तेलों में 10 से 12 रुपये लीटर की तेजी आई है। 90 से 100 रुपये किलो तक बिकने वाली राहर (अरहर) इन दिनों 110 रुपये से लेकर 130 रुपये तक बिक रही है। चना दाल भी 70 रुपये से लेकर 85 रुपये किलो तक पहुंच गई है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इनकी कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। खाद्य नियंत्रक अनुराग सिंह भदोरिया का कहना है कि इस प्रकार कीमतें अचानक बढ़ रही हैं। इसकी जांच करवाई जाएगी।
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