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हाई कोर्ट की एकलपीठ ने एट्रोसिटीज व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में अहम फैसला दिया है।

एट्रोसिटीज एक्ट में जमानत वापस लेने के अधिकार हैं  कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरोपित शर्तों का उल्लंघन करता है तो एट्रोसिटीज (एससीएसटी) एक्ट में जमानत वापस लेने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसे आरोपित जिनके ऊपर एट्रोसिटीज एक्ट व पॉक्सो के तहत केस दर्ज हैं, उनकी ट्रायल उस विशेष न्यायालय में हस्तांतरित की जाएं, जो पॉक्सो एक्ट की सुनवाई के लिए बनाए गए हैं। हालांकि जिस याचिका में कोर्ट ने यह फैसला दिया है, उस आरोपित की जमानत को वापस नहीं लिया है। एट्रोसिटीज एक्ट में जमानत वापस ली जा सकती है या नहीं, इसको लेकर हाई कोर्ट ने सुनवाई की थी।

एक नाबालिग की मां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मां की ओर से तर्क दिया गया कि आरोपित को कोर्ट ने जमानत पर रिहा किया है। जमानत पर रिहा करने के लिए तीन शर्तें लगाई थीं। आरोपित को नाबालिग से दूर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन जेल से छूटने के बाद वह नाबालिग को लेकर भाग गया। आरोपित ने जमानत की शर्त का उल्लंघन किया है। उसकी जमानत को निरस्त किया जाए। आरोपित की ओर से अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने तर्क दिया कि एट्रोसिटीज एक्ट के तहत दर्ज केसों में कोर्ट को जमानत देने का अधिकार है, लेकिन उसे वापस लेने का अधिकार नहीं है।