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देश के सर्वाधिक संक्रमित जिलों में इंदौर, भोपाल के बाद तीसरे नंबर पर रहा उज्जैन अब कोरोना से जंग लड़ते हुए छठे स्थान पर आ गया है। शुरुआती दौर में मौतों के आंकड़े से चर्चा में आए शहर ने अब काफी हद तक संभलने का प्रयास किया है। अब जहां रिकवरी रेट बढ़ा है, वहीं डेथ रेट में कमी आई है।
कोरोना से जंग शुरू हुए छह महीने पूरे हो रहे हैं। 24 मार्च की रात 12 बजे से पूरे देश में लॉकडाउन लगा था। इसी दौरान उज्जैन जिले में कोरोना दस्तक दे चुका था। जानसापुरा निवासी 65 साल की महिला की 25 मार्च को संक्रमण से मौत हो गई जो जिले की पहली कोरोना मरीज थी।
मार्च, अप्रैल और मई में कोरोना ने सैकड़ों को संक्रमित किया और कई जानें लीं। जून-जुलाई में संक्रमण के मामले कम हुए। उज्जैन जिले में कोरोना संक्रमण ने दस्तक देने के साथ ही सकते में आया स्वास्थ्य और प्रशासनिक महकमा संक्रमण का कारण ढूंढ ही रहा था कि अगले छह दिनों में पांच और मरीज मिले और एक अन्य मरीज की भी मौत हो गई।
अप्रैल में कुल संक्रमितों की संख्या 141 पर पहुंच गई और 24 लोगों की मौत हो गई। मई तक स्थिति और भयावह थी। चिंता की बात यह थी कि यहां कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर (डेथ रेट) सबसे ज्यादा थी। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में यह दर 17.02 फीसद पर थी, वहीं मई के शुरुआती सप्ताह में यह 22 फीसद के पार हो गई।
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