रायपुर, 15 अप्रैल 2025/ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की विशेष मौजूदगी में आज जगदलपुर में आयोजित “विकसित बस्तर की ओर” परिचर्चा में बस्तर के समग्र विकास के लिए एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में कृषि, कौशल विकास, पर्यटन और उद्योग जैसे क्षेत्रों में बस्तर की संभावनाओं को उजागर करने और विकास की नई दिशा तय करने पर गहन और सार्थक चर्चा हुई। संबंधित विभागों के अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श कर मुख्यमंत्री ने बस्तर को नक्सलवाद के अंधेरे से निकालकर विकास के प्रकाश की ओर ले जाने का संकल्प दोहराया। यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय दो दिवसीय प्रवास पर जगदलपुर गए हुए हैं। अपने प्रवास के पहले दिन विकसित बस्तर की ओर परिचर्चा में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर ने दशकों तक नक्सलवाद का दंश झेला है, लेकिन अब यह क्षेत्र अपनी समृद्ध जनजातीय संस्कृति, नैसर्गिक सुन्दरता, कृषि विकास, कौशल उन्नयन, उद्योग और खनिज संसाधनों के साथ विकास की नई राह पर अग्रसर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “विकसित छत्तीसगढ़ @2047” का संकल्प “नवा अंजोर” विजन के माध्यम से साकार होगा, और इसकी शुरुआत बस्तर से हो रही है। बस्तर के किसान, महिला समूह, युवा उद्यमी, और आदिवासी समुदाय छत्तीसगढ़ की प्रगति की नई इबारत लिखने को तैयार हैं।
परिचर्चा के पहले सत्र में बस्तर के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि, उद्यानिकी, मछली पालन, पशुपालन, और जैविक खेती पर विस्तार चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के स्वदेशी और जैविक उत्पादों को देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाने के लिए प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, और मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा, “बस्तर के उत्पाद न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान बनेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी जगह बनाएंगे।
बस्तर संभाग में लगभग 9 लाख हेक्टेयर में खरीफ तथा पौने तीन लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती होती है। खरीफ की मुख्य फसल धान एवं मक्का है। बस्तर संभाग में 1.85 हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है, जिसे आगमी तीन वर्षों में बढ़ाकर 3 लाख हेक्टेयर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मक्का उत्पादक कृषकों के साथ जैव ईंधन, बायोफार्मास्युटिकल, स्टार्च एवं पोल्ट्री फीड उद्योगों के साथ मार्केट लिंकेज कराने पर जोर दिया गया, ताकि कृषकों को उनकी उपज का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
इसी तरह आगामी तीन वर्ष में मिलेट्स की खेती को 52 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 75 हजार हेक्टेयर करने तथा स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण इकाई की स्थापना और स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा छात्रावास के बच्चों के खाद्यान्न में मिलेट्स को शामिल करने पर जोर दिया गया है। बस्तर में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने तथा प्राइवेट कंपनियों की सहभागिता से बाजार एकीकरण, सिंचाई क्षेत्र में विस्तार के लिए तीन वर्षों में 27 हजार 600 सोलर पंप तथा नदी-नालों के किनारे सोलर लिफ्ट सिंचाई पंप की स्थापना की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 30 से 40 नए कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया। बस्तर में वर्तमान में 1010 कृषि यंत्र केन्द्र संचालित है। बस्तर में काजू, कोंडागांव में आचार, मसाला एवं कोकोनट आयल, कांकेर में सीताफल पल्प, दंतेवाड़ा में शहद एवं हल्दी पाउडर, सुकमा, नारायणपुर एवं बीजापुर में मसाला प्रसंस्करण की स्थापना को लेकर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बस्तर के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने की बात कही। परिचर्चा के दौरान यह जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री कौशल योजना, और नियद नेल्ला नार योजनाओं के तहत अब तक 90 हजार युवाओं को प्रशिक्षित और 40 हजार युवाओं को नियोजित किया गया है। इसके अलावा, बस्तर में 32 नए कौशल विकास केंद्र और सातों जिलों में आवासीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाने की योजना है। इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को बाजार और उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा जाएगा। नक्सल पीड़ित परिवारों, आत्मसमर्पित नक्सलियों और महिलाओं को इन योजनाओं में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। कौशल प्रशिक्षण के लिए महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, नंदी, एनएसडीसी एवं नीति आयोग से अनुबंध किया गया है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत बस्तर संभाग के सातों जिलों में 6123 लोगों को विभिन्न ट्रेड का प्रशिक्षण दिया गया है।