उत्तर प्रदेश के Bahraich जिले में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां शुक्रवार को एंटी करप्शन टीम ने एक बैंक मैनेजर और एक दलाल को घूस लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा। ये दोनों मिलकर एक महिला किसान से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) बनवाने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे।
लेकिन महिला किसान ने हिम्मत दिखाई और एंटी करप्शन टीम को पूरे घटनाक्रम की सूचना दे दी। इसके बाद टीम ने पूरी रणनीति बनाकर दोनों आरोपियों को जाल में फंसा लिया और मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है और बैंकिंग सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।
कैसे हुआ पूरा ऑपरेशन?
घटना बहराइच के सुजौली थाना क्षेत्र की है, जहां चफरिया स्थित आर्यावर्त बैंक शाखा में यह पूरा खेल चल रहा था। बिहारी पुरवा गांव की रहने वाली रामदेई, जो एक महिला किसान हैं, अपना किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) बनवाने के लिए लंबे समय से बैंक के चक्कर काट रही थीं।
इसी दौरान उनकी मुलाकात बाजपुर बनकटी गांव निवासी मुक्तेश्वर मौर्य से हुई। मुक्तेश्वर ने किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के बदले उनसे रिश्वत की मांग की। महिला किसान ने पैसों की व्यवस्था करने की बात कही, लेकिन अंदर ही अंदर उन्होंने एंटी करप्शन टीम से संपर्क कर लिया।
इसके बाद एंटी करप्शन टीम ने योजना बनाकर जाल बिछाया।
घूस लेते ही धराए बैंक मैनेजर और दलाल!
शुक्रवार को एंटी करप्शन टीम ने बैंक परिसर में सादे कपड़ों में तैनात होकर पूरा ऑपरेशन शुरू किया। टीम ने पहले महिला को रिश्वत की रकम लेकर बैंक जाने को कहा। महिला किसान जैसे ही पाउडर लगे नोट बैंक मैनेजर प्रिंस गुप्ता (निवासी सीतापुर) और दलाल मुक्तेश्वर मौर्य को सौंपती हैं, टीम तुरंत सक्रिय हो जाती है।
जैसे ही रिश्वत की रकम बैंक मैनेजर और दलाल के हाथ में आई, एंटी करप्शन टीम ने उन्हें मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। बैंक में मौजूद अन्य लोग यह नजारा देखकर हैरान रह गए।
इसके बाद पुलिस टीम ने दोनों आरोपियों को अपने साथ ले जाकर विस्तृत पूछताछ शुरू कर दी।
स्थानीय पुलिस बनी अनजान, लेकिन कार्रवाई जारी
इस पूरे मामले पर जब थानाध्यक्ष हरीश सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एंटी करप्शन टीम ने थाने से फोर्स मांगा था, जो उपलब्ध कराया गया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि टीम ने क्या कार्रवाई की, इसकी उन्हें अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन इतना साफ है कि दोनों आरोपी टीम की हिरासत में हैं और उन पर कानूनी शिकंजा कसने की प्रक्रिया जारी है।
भ्रष्टाचार के ऐसे और कितने मामले?
इस घटना ने एक बार फिर यूपी में बैंकिंग सेक्टर में फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी बैंक अधिकारी को किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर रिश्वत लेते पकड़ा गया हो।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे घोटाले
2023 में लखनऊ में: एक सरकारी बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर किसानों से 5,000 से 10,000 रुपये की घूस ली जा रही थी। मामला सामने आने पर कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हुई, लेकिन कई अब भी बच रहे हैं।
2022 में गोरखपुर में: एक बैंक कर्मी को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। उसने कई किसानों से अवैध उगाही की थी।
2021 में बरेली में: एक बैंक मैनेजर पर 50,000 रुपये की घूस लेने का आरोप लगा था।
आखिर कब खत्म होगा यह भ्रष्टाचार?
बैंकिंग सिस्टम में इस तरह की घटनाएं यह साबित करती हैं कि कई सरकारी बैंक किसानों के लिए बनी योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। किसान पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, और उनके साथ इस तरह की धोखाधड़ी उन्हें और परेशान करती है।
इसलिए जरूरी है कि एंटी करप्शन टीम ऐसी कार्रवाई को और तेज करे और भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
इस खबर से क्या सबक मिलता है?
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना का दुरुपयोग हो रहा है।
बैंकों में भ्रष्टाचार अब भी जारी है, जिसे खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
किसानों को जागरूक होने की जरूरत है ताकि वे दलालों के चंगुल में न फंसें।
सरकार को निगरानी बढ़ानी होगी ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
आगे क्या होगा?
फिलहाल, एंटी करप्शन टीम इस मामले की पूरी जांच कर रही है और दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
क्या इस घूसखोरी रैकेट में और भी लोग शामिल हैं?
क्या बैंक के अन्य कर्मचारी भी इसमें मिले हुए हैं?
क्या भविष्य में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिल सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि इस तरह की घटनाएं बैंकों की साख को खराब कर रही हैं, और किसानों के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका है।
भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा!
बहराइच में हुए इस घूसखोरी कांड ने साबित कर दिया कि बैंकों में बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठाने में लगे हुए हैं। लेकिन यदि हर नागरिक सतर्कता दिखाए और ऐसी घटनाओं की सूचना समय पर दे, तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है।
क्या सरकार इस पर कड़ा कदम उठाएगी?
क्या बैंकिंग सिस्टम में सुधार होगा?
ये सवाल अब सभी के मन में हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या इस घटना के बाद बैंकिंग सेक्टर में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा या नहीं।
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