Bareilly के आंवला थाना क्षेत्र के मनौना गांव में एक ऐसी प्रेम कहानी ने जन्म लिया, जिसने समाज की रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए प्यार की ताकत को साबित कर दिया। यहां की रहने वाली युवती उम्मे कुलसुम ने अपने प्रेमी राजेश से विवाह कर लिया, लेकिन यह रिश्ता इतना आसान नहीं था। दोनों के प्यार के आगे परिवार और समाज के ताने, धमकियां और हिंसा सब बेअसर रही।
मोबाइल की बातचीत से शुरू हुआ प्यार
कुलसुम और राजेश दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं। राजेश दिल्ली में सिलाई का काम करता है, जबकि कुलसुम गांव में रहती थी। कुछ साल पहले दोनों की मुलाकात हुई और फिर मोबाइल पर लंबी बातचीत ने इस दोस्ती को प्यार में बदल दिया। धीरे-धीरे दोनों ने शादी करने का फैसला किया, लेकिन अलग-अलग धर्म और समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण कुलसुम के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था।
घरवालों का विरोध और युवती का बड़ा कदम
जब कुलसुम ने अपने परिवार को इस रिश्ते के बारे में बताया, तो उसे जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। उसके माता-पिता ने न सिर्फ उसे डांटा-फटकारा, बल्कि उस पर हिंसक हमले भी किए। कुलसुम ने बताया कि उसकी मां ने उसे पीटा, जबकि पिता ने तो आग लगाकर मारने की भी कोशिश की। इन हालातों में डरी-सहमी कुलसुम ने अपना घर छोड़ने का फैसला किया और सीधे राजेश के पास पहुंच गई।
सनातन धर्म अपनाया और नया नाम लिया
दोनों ने शादी करने का मन बना लिया, लेकिन कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वे बरेली के अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचे। यहां महंत केके शंखधार के सामने कुलसुम ने अपनी इच्छा से सनातन धर्म अपनाया और अपना नाम बदलकर “ममता” रख लिया। महंत ने बताया कि कुलसुम ने अपनी उम्र का प्रमाणपत्र भी पेश किया, जिसके अनुसार वह 24 साल की है और पूरी तरह से बालिग है।
परिवार के खिलाफ पुलिस में शिकायत
हालांकि, कुलसुम के पिता ने उसे नाबालिग बताकर राजेश के खिलाफ आंवला कोतवाली में केस दर्ज करा दिया था। इस पर महंत ने पुलिस को सूचित किया और युवती की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मंगलवार को कुलसुम का कोर्ट में बयान दर्ज कराने का फैसला किया।
क्या कहती है कुलसुम?
अब ममता बन चुकी कुलसुम ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैंने अपनी मर्जी से यह फैसला लिया है। मेरे परिवार वाले मुझे मारते-पीटते थे, मेरी जान को खतरा था। मैं राजेश के साथ खुश हूं और हमेशा रहूंगी।”
समाज के सामने बड़ा सवाल
यह मामला सिर्फ दो लोगों की प्रेम कहानी नहीं, बल्कि समाज के उन नियमों पर सवाल खड़ा करता है, जहां धर्म और जाति के नाम पर प्यार को अपराध बना दिया जाता है। आज भी देश के कई हिस्सों में इंटरफेथ मैरिज को लेकर हिंसक प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं। क्या हमारा समाज वाकई इतना संकीर्ण सोच वाला है कि वह दो लोगों के प्यार को स्वीकार नहीं कर सकता?
कानूनी पहलू क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार, कोई भी बालिग व्यक्ति अपनी मर्जी से शादी कर सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि प्रेम विवाह पूरी तरह से कानूनी है और पुलिस का कर्तव्य है कि वह ऐसे जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
क्या आगे होगा?
अब सबकी नजर पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई पर है। क्या कुलसुम के पिता का केस खारिज होगा? क्या दोनों को परिवार का साथ मिल पाएगा? या फिर उन्हें समाज के तानों के बीच ही जीना पड़ेगा?
इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि प्यार किसी धर्म, जाति या समाज की दीवारों से बंधकर नहीं रह सकता। अगर दो दिल सच्चे हैं, तो वे हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।