UP Government महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार नई योजनाएं लागू कर रही है। खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो निर्माण कार्यों में संलग्न हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इस कड़ी में सरकार ने ‘मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना’ (Maternity, Infant, and Girl Child Assistance Scheme) की शुरुआत की है, जिससे हजारों गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सीधा फायदा पहुंचेगा।
यह योजना उन महिलाओं के लिए संजीवनी साबित हो रही है, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान काम करना पड़ता था। सरकार की इस पहल का मकसद है कि वे आराम से अपनी प्रेग्नेंसी का समय गुजार सकें और शिशु को जन्म देने के बाद भी आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
इस योजना के तहत सरकार गर्भवती महिलाओं को विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है:
1⃣ संस्थागत प्रसव (Hospital Delivery) पर महिलाओं को आर्थिक सहायता
- महिला श्रमिकों को तीन महीने के न्यूनतम वेतन के बराबर राशि मिलेगी।
- इसके अतिरिक्त ₹1,000 का चिकित्सा बोनस भी दिया जाएगा।
2⃣ शिशु जन्म पर आर्थिक सहायता
- यदि लड़का पैदा होता है तो परिवार को ₹20,000 दिए जाएंगे।
- यदि लड़की जन्म लेती है, तो सरकार ₹25,000 की सहायता राशि देगी।
- यदि नवजात बालिका दिव्यांग है, तो ₹50,000 की सावधि जमा (Fixed Deposit) कराई जाएगी, जिसे लड़की के 18 साल की उम्र तक अविवाहित रहने पर निकाला जा सकेगा।
3⃣ पंजीकृत पुरुष श्रमिकों को लाभ
- यदि महिला श्रमिक का पति भी श्रम विभाग में पंजीकृत है, तो उसे एकमुश्त ₹6,000 की सहायता दी जाएगी।
4⃣ गोद ली गई बच्ची के लिए भी सहायता
- यदि कोई निःसंतान दंपत्ति किसी बालिका को कानूनी रूप से गोद लेता है, तो उसे भी इस योजना के तहत ₹25,000 तक की राशि दी जाएगी।
कौन उठा सकता है इस योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ केवल निर्माण कार्यों से जुड़े पंजीकृत श्रमिकों को ही मिलेगा।
लाभ पाने के लिए कम से कम 1 साल (365 दिन) तक बोर्ड की सदस्यता होना अनिवार्य है।
यह योजना पहले दो बच्चों तक ही सीमित है।
महिला श्रमिकों को यह लाभ केवल संस्थागत प्रसव (अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्र में) कराने पर ही मिलेगा।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
आधार कार्ड
श्रमिक कार्ड
स्थायी निवास प्रमाण पत्र
शिशु का जन्म प्रमाण पत्र
चिकित्सक द्वारा दिया गया प्रसव प्रमाण पत्र
गोद लेने की स्थिति में वैधानिक गोद प्रमाण पत्र
बैंक खाता विवरण
पासपोर्ट साइज फोटो
मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी
आवेदन प्रक्रिया – जानिए कैसे मिलेगा ₹25,000 का लाभ?
सबसे पहले लाभार्थी को अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर आवेदन करवाना होगा।
आवेदन पत्र भरने के बाद सभी दस्तावेजों की फोटो कॉपी संलग्न कर श्रम प्रवर्तन कार्यालय (Labour Enforcement Office) में जमा करना होगा।
आवेदन सफलतापूर्वक जमा होने के बाद सभी दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाभार्थी के बैंक खाते में सीधा ₹25,000 तक की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।
इन बातों का रखें ध्यान!
यह योजना सिर्फ उत्तर प्रदेश के निर्माण श्रमिकों के लिए लागू की गई है।
घरेलू महिलाएं या असंगठित क्षेत्र के श्रमिक इस योजना का लाभ नहीं ले सकते।
अनुपयुक्त दस्तावेज जमा करने पर आवेदन रद्द हो सकता है।
क्यों खास है ये योजना?
इस योजना से राज्य की महिला श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए यह योजना बेहद फायदेमंद साबित हो रही है।
नवजात शिशुओं को आर्थिक सहायता मिलने से उनके पोषण और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार होगा।
लड़कियों के जन्म को बढ़ावा देने के लिए ₹25,000 तक की सहायता राशि का प्रावधान रखा गया है।
सरकार की अन्य योजनाएं जो महिलाओं को दे रही हैं बड़ा फायदा
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – पहली बार गर्भवती महिलाओं को ₹6,000 की आर्थिक सहायता।
जननी सुरक्षा योजना – संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए ₹1,400 तक की सहायता।
सुकन्या समृद्धि योजना – बेटी के जन्म पर निवेश कर 18 वर्ष की उम्र में बड़ा फंड पाने की सुविधा।
मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना – बालिका जन्म पर ₹15,000 तक की सहायता।
निष्कर्ष: महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है यह योजना!
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल महिलाओं के लिए एक बड़ा राहत पैकेज साबित हो रही है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस योजना को बेहद व्यवस्थित और प्रभावी तरीके से लागू किया गया है।
यदि आप या आपके परिवार में कोई महिला श्रमिक इस योजना के पात्र हैं, तो तुरंत आवेदन करें और ₹25,000 तक की आर्थिक सहायता प्राप्त करें!
तो देर मत कीजिए, जल्दी आवेदन करें और सरकार की इस बेहतरीन योजना का लाभ उठाइए!