Kanpur: शहर में अपराधियों के खिलाफ पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। ताजा मामला गुजैनी थाना क्षेत्र का है, जहां बुधवार रात पुलिस और कुख्यात कार चोर के बीच मुठभेड़ हो गई। पुलिस की जवाबी फायरिंग में आरोपी के पैर में गोली लगी, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पकड़े गए आरोपी की पहचान सौरभ राठौर के रूप में हुई है, जो हरदोई जिले के कछोना थाना क्षेत्र के दीननगर का रहने वाला है।
पुलिस के मुताबिक, सौरभ राठौर कार चोरी कर उन्हें नेपाल में बेचने के अवैध कारोबार में लिप्त था। हाल ही में उसने कानपुर के तात्याटोपे नगर से एक कार चुराकर नेपाल में बेची थी। पुलिस को लंबे समय से इसकी तलाश थी, लेकिन बुधवार रात उसे रंगे हाथ पकड़ने में सफलता मिली।
कैसे हुआ एनकाउंटर?
बुधवार रात गुजैनी पुलिस को सूचना मिली कि एक कुख्यात कार चोर पनकी से केंधा पुल की ओर जा रहा है। इस पर गुजैनी थाना प्रभारी विनय तिवारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने इलाके में चेकिंग अभियान शुरू किया।
जैसे ही कैंधा पुल के पास एक संदिग्ध बाइक सवार नजर आया, पुलिस ने उसे रुकने का इशारा किया। लेकिन आरोपी ने पुलिस को देखते ही भागने की कोशिश की और फायरिंग भी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिससे एक गोली आरोपी के दाहिने पैर में घुटने के नीचे जा लगी।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे तुरंत इलाज के लिए अस्पताल भेजा।
नेपाल तक फैला था सौरभ का नेटवर्क
पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। सौरभ ने बताया कि वह चोरी की कारों को नेपाल में बेचता था। इसके लिए उसके पास एक पूरा नेटवर्क था, जिसमें पनकी निवासी मंगल नाम का व्यक्ति भी शामिल था।
नेपाल में कार की बिक्री से मिले 10 हजार रुपये लेकर सौरभ जब वापस लौट रहा था, तभी पुलिस ने उसे धर दबोचा। पुलिस अब मंगल की तलाश में भी जुटी है, क्योंकि आशंका है कि वह इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड हो सकता है।
कार चोरी का बड़ा गिरोह, कई राज्यों तक फैला जाल
पुलिस को अंदेशा है कि यह सिर्फ एक छोटा मोहरा है, जबकि इसके पीछे एक बड़ा गैंग काम कर रहा है। यूपी, बिहार और नेपाल तक फैले इस नेटवर्क में कई बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।
सौरभ राठौर से पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिससे कई और बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
नेपाल में चोरी की गाड़ियां क्यों बेची जाती हैं?
नेपाल में चोरी की कारों की बड़ी मांग होती है, क्योंकि वहां पर वाहन रजिस्ट्रेशन में ढील दी जाती है। इसके अलावा, वहां चोरी की कारों को बेचने पर जल्दी पकड़ में आने का खतरा कम होता है।
चोर गैंग खासकर दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, पटना और गोरखपुर से कारें चोरी कर नेपाल में बेचते हैं। एक चोरी की कार 50 हजार से 1.5 लाख रुपये में बिक जाती है।
पुलिस की कार्रवाई तेज, जल्द होंगे और खुलासे
गुजैनी पुलिस अब इस गैंग के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए कार्रवाई में जुट गई है। सौरभ के मोबाइल से कुछ अहम नंबर और चैट्स मिली हैं, जिससे इस गिरोह के अन्य साथियों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
एडीसीपी महेश कुमार ने कहा,
“हमारा मकसद सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क को खत्म करना है। बहुत जल्द इस गैंग के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।”
इससे पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
कानपुर में यह पहला मामला नहीं है जब किसी कार चोर का नेपाल कनेक्शन सामने आया हो। पिछले साल किदवई नगर, पनकी और बर्रा से भी कई वाहन चोरी हुए थे, जिनमें से कुछ नेपाल में बिकने की पुष्टि हुई थी।
हाल ही में लखनऊ पुलिस ने भी एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश किया था, जो यूपी के अलग-अलग शहरों से गाड़ियां चुराकर नेपाल और बांग्लादेश में बेचता था।
कानपुर में बढ़ रही वाहन चोरी की घटनाएं
कानपुर में वाहन चोरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2023 में ही 500 से ज्यादा वाहनों की चोरी के मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से केवल 30% मामलों में ही गाड़ियां बरामद हो पाई थीं।
इसलिए पुलिस अब ऐसे मामलों को लेकर ज्यादा सतर्क हो गई है। नए CCTV सर्विलांस और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से चोरी की गाड़ियों को ट्रैक करने की योजना भी बनाई जा रही है।
आगे क्या?
अब देखना होगा कि सौरभ राठौर से और कौन-कौन से राज खुलते हैं और पुलिस इस गैंग के कितने और सदस्यों को पकड़ पाती है। एक बात तो साफ है कि कानपुर पुलिस अब अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है।
आपके इलाके में कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें!