Lucknow: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो Mayawati ने एक और सख्त कदम उठाते हुए अपने समधी अशोक सिद्धार्थ और उनके करीबी नितिन सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया है। अशोक सिद्धार्थ न सिर्फ मायावती के भतीजे आकाश आनंद के ससुर हैं, बल्कि वह पूर्व राज्यसभा सांसद और पेशे से डॉक्टर भी हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और गुटबाजी के आरोप में दोनों पर यह कार्रवाई की गई है।
BSP में बगावत की आहट! मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को क्यों दिखाया बाहर का रास्ता?
बसपा सुप्रीमो Mayawati ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए इस बात की जानकारी दी। उन्होंने लिखा:
“BSP की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व श्री नितिन सिंह, जिला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण, पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाता है।”
मायावती के इस ऐलान के बाद बसपा के अंदर हलचल तेज हो गई है। पार्टी में पहले से ही कई बड़े नेता अलग हो चुके हैं और अब अशोक सिद्धार्थ का जाना बसपा के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
कौन हैं अशोक सिद्धार्थ? क्यों मायावती के खास थे, और फिर दूर क्यों हो गए?
अशोक सिद्धार्थ एक अनुभवी राजनेता हैं। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर बसपा ज्वाइन की थी और पार्टी में उन्हें तेजी से प्रमोशन मिला।
- पहले वे एमएलसी (Legislative Council Member) बनाए गए।
- 2016 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा, जहां उन्होंने दलित मुद्दों पर आवाज़ उठाई।
- उनकी पत्नी भी यूपी महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
अशोक सिद्धार्थ को मायावती का विश्वासपात्र माना जाता था। लेकिन, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ समय से वे बसपा में अपनी अलग पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे थे, जो मायावती को पसंद नहीं आया।
क्या मायावती को कमजोर कर रही है पार्टी के अंदर बढ़ती गुटबाजी?
बसपा में पिछले कुछ सालों से टूटफूट जारी है। मायावती ने 2019 लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से ही पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन कई वरिष्ठ नेता बसपा को छोड़ चुके हैं।
- स्वामी प्रसाद मौर्य, जो कभी मायावती के दाहिने हाथ माने जाते थे, अब सपा के साथ हैं।
- नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी बसपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए।
- राम अचल राजभर और लालजी वर्मा भी पार्टी छोड़ चुके हैं।
अब अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह का निष्कासन यह दिखाता है कि बसपा में आंतरिक कलह गहरी होती जा रही है।
BSP का भविष्य: क्या मायावती अकेली पड़ रही हैं?
मायावती की पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीत पाई थी, जो यह दिखाता है कि बसपा के लिए स्थितियां अब आसान नहीं हैं।
- 2024 लोकसभा चुनाव करीब है, और पार्टी अब भी मजबूत संगठन खड़ा करने में संघर्ष कर रही है।
- दलित वोट बैंक पर BJP, SP और कांग्रेस भी नजर गड़ाए हुए हैं।
- मायावती खुद कह चुकी हैं कि पार्टी को बाहरी हस्तक्षेप और अनुशासनहीनता से बचाना उनकी प्राथमिकता है।
लेकिन, सवाल यह उठता है कि अगर वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से निकाला जाता रहेगा, तो BSP किसके भरोसे आगे बढ़ेगी?
क्या मायावती का यह फैसला 2027 चुनावों पर असर डालेगा?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अशोक सिद्धार्थ का निष्कासन मायावती के लिए फायदेमंद साबित भी हो सकता है और नुकसानदायक भी।
- फायदा: इससे यह संदेश जाएगा कि मायावती पार्टी में अनुशासन को लेकर कोई समझौता नहीं करतीं।
- नुकसान: इससे बसपा के भीतर और असंतोष बढ़ सकता है, जिससे पार्टी को और टूट का सामना करना पड़ सकता है।
BSP में दोबारा एंट्री का कोई रास्ता?
सूत्रों की मानें तो अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को दोबारा बसपा में आने का मौका नहीं मिलेगा। मायावती एक बार जिसने बगावत कर दी, उसे दोबारा मौका नहीं देतीं।
हालांकि, राजनीति में दरवाजे हमेशा बंद नहीं होते। अगर भविष्य में अशोक सिद्धार्थ किसी और दल में शामिल होते हैं, तो इससे बसपा के वोट बैंक में बदलाव हो सकता है।
अशोक सिद्धार्थ का अगला कदम क्या होगा?
फिलहाल, अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि वे किसी अन्य पार्टी का रुख कर सकते हैं।
- क्या वे समाजवादी पार्टी में जाएंगे?
- या फिर कांग्रेस का दामन थामेंगे?
- या खुद कोई नया मोर्चा बनाएंगे?
ये सभी सवाल अब सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
निष्कासन के पीछे असली वजह क्या?
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी विरोधी गतिविधियां सिर्फ बहाना हैं।
- अशोक सिद्धार्थ का पार्टी के भीतर एक गुट बनाना
- बिना मायावती की इजाजत के कुछ फैसले लेना
- दलित राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाना
यही वे मुख्य कारण माने जा रहे हैं जिनकी वजह से मायावती ने उन्हें बाहर कर दिया।
क्या BSP फिर से खड़ी हो पाएगी?
मायावती के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है लोकसभा चुनाव।
- बसपा को अगर वापसी करनी है, तो नए चेहरों को आगे लाना होगा।
- गठबंधन की राजनीति में मायावती को नई रणनीति बनानी होगी।
क्या मायावती का फैसला सही है?
कुछ लोग कह रहे हैं कि यह मायावती का सख्त लेकिन जरूरी कदम था।
वहीं, कुछ का मानना है कि इससे बसपा कमजोर होगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का पार्टी पर क्या असर पड़ता है और क्या अशोक सिद्धार्थ इस सियासी झटके के बाद कोई नया खेल खेलते हैं या नहीं।