Hathras जिले में एक खौफनाक वारदात ने पूरे इलाके को दहला दिया। खेत में सिंचाई के लिए पाइप डालने को लेकर हुए विवाद में निर्दयता की सारी हदें पार कर दी गईं। न्यायालय ने इस निर्मम हमले के दोषियों को करारा जवाब देते हुए सात-सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
सत्र न्यायाधीश सतेंद्र कुमार की अदालत ने विमल कुमार पुत्र नाहर सिंह और मंजू देवी पत्नी भूरी सिंह को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी ठहराया और जुर्माने के साथ सात साल कैद की सजा सुनाई। अगर वे अर्थदंड नहीं चुकाते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी।
क्या था पूरा मामला?
यह खौफनाक घटना 29 दिसंबर 2018 की शाम को हुई थी, जब घाटमपुर निवासी बनवारीलाल अपनी पत्नी सुशीला देवी के साथ खेत में छुट्टा पशुओं को देखने गए थे। उसी समय उन्होंने देखा कि विमल कुमार और मंजू देवी खेत में सिंचाई के लिए पाइप डाल रहे थे। चूंकि यह पाइप उनके खेत में खड़ी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा सकता था, इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।
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लेकिन यह विरोध रक्तरंजित संघर्ष में बदल गया। विमल कुमार और मंजू देवी ने पहले गाली-गलौच शुरू की और फिर आक्रामक हो गए। गुस्से से आगबबूला होकर उन्होंने बनवारीलाल पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया।
फावड़े और ईंटों से बेरहमी से पीटा
गवाहों के अनुसार, विवाद इतना बढ़ गया कि विमल कुमार और मंजू देवी ने पहले बनवारीलाल को जमीन पर गिराया, फिर फावड़े के बैट और ईंटों से उनके पेट पर कई वार किए। इससे उनके पेट में गंभीर अंदरूनी चोटें आईं और वे मौके पर ही बेहोश हो गए।
सुशीला देवी ने जब शोर मचाया तो आसपास के लोग वहां पहुंचे, लेकिन इससे पहले ही हमलावर उन्हें मरा समझकर वहां से भाग निकले।
गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती
घायल बनवारीलाल को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी स्थिति नाजुक बताई। कई दिनों तक चले इलाज के बाद वे बच तो गए, लेकिन उनके शरीर पर इस हमले के गहरे निशान हमेशा के लिए रह गए।
पुलिस में दर्ज हुआ केस
घटना के बाद सुशीला देवी ने 7 जनवरी 2019 को थाना सादाबाद में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की और साक्ष्यों को इकट्ठा किया। जांच के दौरान गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट ने इस हमले की बर्बरता को साबित कर दिया।
अदालत ने सुनाई कठोर सजा
इस केस की सुनवाई हाथरस कोर्ट में हुई, जहां अभियोजन पक्ष ने मजबूत दलीलें पेश कीं। गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने विमल कुमार और मंजू देवी को दोषी करार दिया।
सजा:
- 7 साल की कठोर कैद
- अर्थदंड (राशि अदा न करने पर अतिरिक्त जेल की सजा)
आरोपियों की सफाई, लेकिन नहीं बच सके सजा से
मुकदमे के दौरान आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन अदालत ने सभी तथ्यों की पड़ताल के बाद साफ कहा कि यह हमला जानलेवा था और आरोपी बख्शे नहीं जा सकते।
इलाके में चर्चा का विषय बना मामला
इस फैसले के बाद घाटमपुर और सादाबाद इलाके में चर्चा का माहौल बन गया। लोग इसे न्याय की जीत बता रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अगर समय रहते पुलिस और प्रशासन सख्त कार्रवाई करता, तो शायद यह हिंसक झड़प टल सकती थी।
ऐसे मामलों में बढ़ोतरी, प्रशासन को होना होगा सतर्क
हाल के वर्षों में खेतों को लेकर विवादों में वृद्धि हुई है। खासकर सिंचाई, अवैध कब्जा और फसल को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाओं में तनाव बढ़ता जा रहा है। यह मामला भी इसी तरह के विवाद का नतीजा था, लेकिन यहां बात सिर्फ झगड़े तक सीमित नहीं रही, बल्कि निर्दयता की हदें पार कर दी गईं।
प्रशासन को चाहिए कि वह इस तरह के मामलों में समय रहते सख्त कार्रवाई करे, ताकि किसी को कानून हाथ में लेने की हिम्मत न हो।
न्याय की जीत, लेकिन सबक लेने की जरूरत
यह फैसला एक मिसाल है कि कानून किसी को बख्शता नहीं, चाहे वह कितनी भी चालाकी से खुद को बचाने की कोशिश करे। इस घटना ने यह भी साफ कर दिया कि गुस्से में उठाया गया एक कदम किसी की जिंदगी तबाह कर सकता है।
क्या सीख मिलती है?
- खेत-खलिहानों के विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए।
- गुस्से में हिंसा करने से कानून की गिरफ्त से बचना नामुमकिन है।
- प्रशासन को जमीन और सिंचाई के मामलों में सख्ती बरतनी चाहिए, ताकि ऐसे झगड़े हिंसा का रूप न लें।
इस खौफनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। अदालत के फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है और आरोपियों को उनके किए की सजा। लेकिन यह सवाल बना हुआ है – क्या भविष्य में इस तरह की घटनाएं रुकेंगी?
अब समय आ गया है कि लोग गुस्से में बिना सोचे-समझे कदम उठाने से पहले अंजाम पर विचार करें। वरना, एक छोटी सी गलती इंसान को सालों तक सलाखों के पीछे पहुंचा सकती है!