Agra इनर रिंग रोड स्थित टोल प्लाजा पर सोमवार रात जो कुछ हुआ, उसने एक बार फिर से वीआईपी कल्चर और दबंगई की हकीकत को उजागर कर दिया। इटावा के समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जितेंद्र कुमार दोहरे के गनरों ने यहां जमकर हेकड़ी दिखाई और 29 गाड़ियों के काफिले को बिना टोल दिए पार करवा दिया। यही नहीं, जब टोलकर्मियों ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ अभद्रता भी की गई।
कैसे हुई पूरी घटना?
मामला रात करीब 8:30 बजे का है, जब इटावा से आगरा की ओर एक लंबा काफिला बढ़ रहा था। टोल प्लाजा पर जैसे ही गाड़ियों का हुजूम पहुंचा, वहां तैनात टोलकर्मियों ने गाड़ियों को रोकने की कोशिश की। तभी सांसद जितेंद्र कुमार दोहरे के सुरक्षाकर्मी शिव कुमार और रंजीत कुमार आगे आए और दबंगई दिखाते हुए टोल बैरियर को ऊपर उठवा दिया। इसके बाद 29 कारें और एक बस धड़ल्ले से बिना शुल्क दिए टोल पार कर गईं। टोलकर्मियों के विरोध करने पर गनरों ने उनके साथ अभद्रता की और धमकाया।
वीआईपी कल्चर और कानून की धज्जियां
यह कोई पहली बार नहीं है जब वीआईपी कल्चर के नाम पर इस तरह की दबंगई देखने को मिली हो। पहले भी कई नेताओं, अधिकारियों और रसूखदार लोगों द्वारा टोल टैक्स न चुकाने के मामले सामने आए हैं। सवाल उठता है कि आम जनता को टोल देने के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन नेताओं और उनके गुर्गों को इससे छूट कैसे मिल जाती है? क्या नियम-कानून सिर्फ आम लोगों के लिए बनाए गए हैं?
सीसीटीवी में कैद हुई पूरी घटना
इस पूरे घटनाक्रम की फुटेज टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे सांसद के गनर टोलकर्मियों को धमकाते हैं और गाड़ियों को पार करवा देते हैं। टोल प्रबंधन की ओर से घटना की शिकायत फतेहाबाद थाना पुलिस को दी गई है।
पुलिस की प्रतिक्रिया, कार्रवाई पर सवाल
टोल प्लाजा के एकाउंट मैनेजर नारायण सिंह यादव ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज करवाई है। हालांकि, जब इस मामले में इंस्पेक्टर विजय विक्रम सिंह से बात की गई तो उन्होंने घटना की जानकारी होने से इनकार कर दिया। अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करेगी या फिर हमेशा की तरह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
क्या कहता है नियम?
सड़क परिवहन मंत्रालय के नियमों के अनुसार, टोल टैक्स से छूट सिर्फ कुछ विशेष श्रेणियों के वाहनों को दी जाती है, जिसमें सरकारी आपातकालीन सेवाएं, एंबुलेंस और सेना के वाहन शामिल हैं। किसी भी सांसद, विधायक या उनके सुरक्षाकर्मियों को टोल फ्री पास करने का अधिकार नहीं होता। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सांसद के नाम पर उनके सुरक्षाकर्मी कानून तोड़ सकते हैं?
जनता में आक्रोश, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मामला
इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर भी यह खबर तेजी से वायरल हो रही है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब आम आदमी को हर बार टोल देना पड़ता है, तो फिर नेताओं के काफिले को यह विशेषाधिकार क्यों?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आईं सामने
इस घटना पर राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। विपक्षी दलों ने इसे वीआईपी कल्चर की शर्मनाक मिसाल बताया है और योगी सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। कुछ नेताओं ने यहां तक कह दिया कि अगर आम जनता के लिए कानून है, तो नेताओं और उनके सुरक्षाकर्मियों पर भी वही कानून लागू होना चाहिए।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या सांसद के गनरों पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर हमेशा की तरह रसूख और सत्ता का दबाव इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगा? फिलहाल, टोल प्लाजा प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को सीसीटीवी फुटेज सौंप दिए हैं। उम्मीद है कि इस बार कानून का पालन करवाने वाले ही कानून नहीं तोड़ेंगे!