State News
पिता को दफनाने की इजाजत मांगने बेटे को जाना पड़ा अदालत, जजों ने निकाला ये समाधान, छत्तीसगढ़ से जुड़ा है पूरा मामला….
बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बेटा अपने पिता के अंतिम संस्कार की इजाजत मांगने सरकारी दफ्तरों से लेकर अदालत के चक्कर काट रहा है। दरअसल बस्तर जिले के रहने वाले रमेश बघेल के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका शव पिछले 15 दिनों से मॉर्चरी में रखा हुआ है। घर, जमीन और गांव होने के बाद बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहा है। रमेश का आरोप है कि ईसाई होने के कारण उनके पैतृक गांव के ग्रामीणों ने पिता का अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दी। आपको बता दें अब तक रमेश स्थानीय प्रशासन, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुका है। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि, ‘हमें बहुत दुख है कि एक शख्स को अपने पिता को दफनाने की अनुमति मांगने के लिए कोर्ट आना पड़ा।’
रमेश के पिता की लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए गांव में बॉडी दफनाने की योजना बनाई थी, लेकिन गांव के कुछ लोगों ने इसका हिंसक विरोध किया था।
बताया जा रहा है कि रमेश के पिता की बॉडी 7 जनवरी से अब तक मर्चरी में ही है। दरअसल, छिंदवाड़ा गांव में ईसाई और बाकी लोगों के कब्रिस्तान को स्थानीय लोगों को अलग कर दिया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था कि गांव में ईसाइयों के लिए कोई अलग कब्रिस्तान नहीं है। गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर कब्रिस्तान है।
मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा,’भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का दायित्व है। हम छत्तीसगढ़ सरकार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना बेहतर होगा, इसलिए बेहतर होगा कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए निर्धारित जगह पर दफनाया जाए।