आज़ादी के दीवाने: बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा-स्वतंत्रता आंदोलन के समय छत्रा के पूर्णाडीह निवासी राजवर्ष सिंह बोकारो के बेरमो आये थे। वह बेरमो के समाजवादी नेता बिंदेश्वरी सिंह के बड़े भाई थे। कसमार के रामराठ और राजवर्ष सिंह ने बेरमो की व्यापारिक मंडी जरीडीह बाजार स्थित दामोदर नदी के तट पर स्वतंत्रता आंदोलन का शंखनाद किया था। जब लोगों की भीड़ नदी तट पर मौजूद थी, तब लोगों को आजादी की लड़ाई और महात्मा गांधी के आंदोलन के बारे में बताया गया था। समीक्षा और बाइबिल में देशप्रेम की भावना जागृति के उद्देश्य से वे शंख बजाया करते थे। जरीडीह मार्केट के फ्लैग चौक पर स्थित शहीद पार्क स्वतंत्रता आंदोलन का गवाह है। भाईचंद जैन को यहां से गिरफ्तार किया गया था।
आज़ादी ने लूट ली थी आज़ादी की शराब की दुकान
वर्ष 1942 के आसपास जरीडीह बाजार में ब्रिटिश हैवडर्स कंपनी की शराब दुकान आजादी के सेनानियों ने लूट ली थी। स्वतंत्रता सेनानी जगदीश असंतुष्ट के पिता दीनू असंतुष्ट 1920 में जरी बाजार आये थे। जगदीश के दादा नूनू साव एवं रामफल साव थे। 1867 के गदर आंदोलन में रामफल साव बाबर के हाथों छत्र में शहीद हो गए थे। जगदीश के पूर्वज छत्रा, चौपारन हुए होते राजगंज के कबीर दास आये थे। यहां से फिर से बेरमो के जरीडीह बाजार आएं।
स्वतंत्रता संग्राम का गढ़ बेरमो था
बजुर्गों की टुकड़ी से स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत बाद में बेरमो में की गई। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में बेरमो के कई लोग जेल भी गये। बेरमो मुख्यालय मुख्यालय में आज भी कई स्वतंत्रता सेनानियों का नाम शिलापट्ट अंकित है। इनमें मुख्य रूप से बिंदेश्वरी सिंह, रामचन्द्र महतो, बद्री नारायण सिंह, विश्राम कच्छी, मीरा देवी, राजा ओझा, बुधन साहा, लोटन महतो, शिवचरण महतो, भोला महतो, होपन गुरा विश्वास, फजह हक वकील, हसीमचंद्र विश्वास, जगदीश प्रसाद आशुतोष, शामिल हैं। इसमें सूद कुमार सिंह का नाम शामिल है.
गिरिजाघर से आये थे रामचन्द्र महतो
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामामाथ मंडल का नाम पहले देवशरण मंडल था। उन्होंने कोलकाता के पटुआ मिल में आंदोलन किया था। वहाँ से भाग कर गिरिडीह ग्रह छिप गया। स्वतंत्रता सेना के वीरेन्द्र सिंह ने ही अपना नाम बदलकर रामचन्द्र महतो रखा था। कहते हैं रामचन्द्र महंत ने गोरखपुर से गिरिडीह तक की यात्रा साइकल से की थी। जरीडीह व्यापारी निवासी बद्री नारायण सिंह और भगत भी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े थे। विश्राम काची महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे सर्वोदय एवं स्वज्ञ आंदोलन से जुड़े थे। वह गुजरात से जरीडीह बाजार आये थे। बेरमो बाज़ार में नॉवेल्टी स्टार नाम की दुकान थी। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हर आंदोलन में सक्रिय रूप से वे भाग लेते थे।
अंग्रेज़ों की सलाह कर बेरमो आये थे रामदास सिंह
बेरमो के समाजवादी एवं श्रमिक नेता रामदास सिंह वर्ष 1942 में बिहार के एक ब्रिटिश महासभा में शामिल होने के बाद भाग कर पलामू के हिंदगिरि आ गये थे। इसके बाद कोडरमा में यमुना खट्टी को एक शख्स का नाम दिया गया जिसके यहां काफी दिनों तक रह रहे थे। बाद में वे बेरमो आ गए और यहां चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। एक बार जरीडीह बाजार में स्वतंत्रता सेनानी बींदेश्वरी सिंह, लक्ष्मण भगत, रामचन्द्र महतो, रामदास सिंह आदि गुप्त बैठक कर रहे थे। इसी बीच ब्रिटिश बैब ने छाप मारा तो बिंदेश्वरी सिंह जरीडीह बाजार स्थित दामोदर नदी में कूद कर नदी की दूसरी दीवार पर निकल गए थे।
आंदोलन में सक्रिय भूमिका वाले पात्र को प्रतिष्ठित किया गया
बेरमो कोयलांचल के संडे बाजार निवासी स्व.रिशीज सहायता को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण भारत सरकार ने ताम्र पात्र का दर्जा दिया था। वह मूल रूप से डाल्टेनगंज में रहने वाले थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. बेरमो स्थित सीसीएल बोकारो कोलियरी में वे सीनेटरी इंस्पेक्टर के पद पर रेलवे रहे।
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