नवलगढ़ समाचार। नवलगढ़
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आयोजित लोकसुनवाई में भारी हंगामा हुआ। यह सुनवाई मैसर्स डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित गोठड़ा-परसरामपुरा पूर्व ब्लॉक पर आधारित चूना पत्थर माइनिंग परियोजना के संदर्भ में हुई। सुनवाई के दौरान किसानों ने कंपनी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की, जिससे करीब एक घंटे तक जनसुनवाई बाधित रही। प्रधान दिनेश सुंडा ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी से सवाल किया कि पहले वाली सीमेंट कंपनी के लिए जो-जो शर्तें लागू की गई थीं, क्या आज तक उन्हें लागू किया गया है? उन्होंने यह भी पूछा कि सीमेंट कंपनी के पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में अधिकारियों के पास क्या जवाब है। प्रधान ने यह भी सवाल उठाया कि गोठड़ा सीमेंट कंपनी को जिन शर्तों पर पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई थी, क्या उनकी पूरी तरह से पालना हुई है और इस जानकारी को पहले किसानों को दिया जाना चाहिए। किसान नेता कैलाश यादव व विजेंद्रसिंह सुंडा ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि पहले पुरानी सीमेंट कंपनी की शर्तों की पालना की रिपोर्ट किसानों को दी जानी चाहिए, इसके बाद ही नई परियोजना पर चर्चा होनी चाहिए। इस पर एडीएम ने कहा कि अगर इस तरह का विरोध जारी रहता है तो राजकार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस पर प्रधान सुंडा भड़क गए और उन्होंने कहा कि वे किसानों के लिए मुकदमा खाने के लिए तैयार हैं। इसके बाद, क्षेत्रीय अधिकारी ने आश्वासन दिया कि गोठड़ा सीमेंट कंपनी की शर्तों की पालना की रिपोर्ट अगले 15 दिनों में किसानों को दी जाएगी। इसके बाद ही दोबारा लोकसुनवाई का आयोजन किया गया और स्थिति सामान्य हुई। इस दौरान एडीएम अजय राय, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी सुधीर यादव, एसडीएम जयसिंह, खनन अभियंता रामलाल व डीएसपी राजवीरसिंह मंचस्थ थे। दिनेश सुंडा ने कहा कि किसानों का हक नहीं मारने दिया जाएगा। कैलाश यादव ने कहा कि किसानों की जमीनों के खसरा नंबर नहीं बताया गए कि माइनिंग कहा पर होगी, जनसुनवाई के नाम पर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। कंपनी किसानों से 450 हैक्टर भूमि ले रही है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ 85 किसानों को रोजगार मिलेगा। किसान अपनी जमीन नहीं देंगे, इसलिए पर्यावरण एनओसी नहीं मिलनी चाहिए। राजेश दूत ने कहा कि जमीन के भाव की बात किसान से होनी चाहिए। विजेंद्रसिंह सुंडा ने कहा कि वर्तमान में जमीन के भाव 26 लाख रुपए बीघा है, इसलिए किसानों को चार गुणा भाव मिलने चाहिए। कंपनी वाटर लेवल के मामले में गुमराह कररही है, हरियाली कोलेकर महज खानापूर्ति की जा रही है। सरपंच करणीराम ने कहा कि कंपनी को किसानों को उचित मुआवजा देना ही होगा। किशनलाल गुर्जर ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई। पंचायत समिति सदस्य प्रताप पूनिया ने कहा कि वे डवलपमेंट के पक्ष में है, लेकिन किसानों व युवाओं के हितों का ध्यान रखना जरुरी है। कंपनी ने पीने के पानी को लेकर क्या प्लान बनाया है, लेकिन कंपनी कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने एडीएम से पूछा कि क्या इस मामले में भूमि अधिग्रहण कानून लागू होगा क्या, जिस पर एडीएम ने कहा कि यह कानून लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर कंपनी ने किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखा तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। आशीष पचार ने कहा कि किसानों के हितों के लड़ाई जारी रहेगी। बनवारीलाल चौधरी, गोविंदराम जैदिया, मदनसिंह यादव, महीपाल, एडवोकेट तेजपाल सहित कई किसानों ने अपनी बात रखी। कुछ किसानों ने मार्केट रेट के चार गुणा भाव देने की मांग की। कंपनी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि किसानों से वन टू वन वार्ता करके ही उनकी जमीन खरीदी जाएगी, पर्यावरण सरंक्षण के जो भी मापदंड होंगे, उनको पूरा किया जाएगा। एडीएम अजय आर्य ने कहा कि किसानों की ओर से जो भी दावे व आपत्ति की गई है, उन पर नियमानुसार कंपनी कार्रवाई करेगी। इस दौरान पुलिस जाप्ता तैनात था।
कौन- कौन से गांव के किसान होंगे प्रभावित
डालमिया सीमेंट कंपनी आने से देवगांव, शिवनगर, भोजनगर, नयापरसरामपुरा,गोठड़ा, चौढानी, खोजास व भोजनगर के किसान प्रभावित होंगे। यह परियोजना 460.4006 हैक्टेयर क्षेत्र में स्थापित की जाएगी और इसमें प्रतिवर्ष 3 मिलियन टन चूना पत्थर उत्पादन क्षमता होगी। इसके साथ ही, ओवरबर्डन 10.3191 मिलियन टन और मृदा 1.271537 मिलियन टन प्रतिवर्ष होगा। कुल उत्खनन 14.590637 मिलियन टन प्रतिवर्ष होगा और 1000 टन प्रति घंटा की क्षमता वाले क्रेशर की स्थापना भी की जाएगी।