Varanasi: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में गुरुवार को एक ताजा विवाद ने छात्रों के बीच गंभीर तनाव को जन्म दिया, जब कुछ छात्र-छात्राओं ने मनु स्मृति जलाने की कोशिश की। इस घटना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने लंका थाने में केस दर्ज करवाया, और पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए 13 छात्र-छात्राओं को गिरफ्तार किया। इन गिरफ्तारियों के बाद मामला और भी पेचीदा हो गया, जब आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की टीम ने छात्र-छात्राओं से पूछताछ के लिए जांच शुरू कर दी।
मनु स्मृति जलाने का विवाद
गुरुवार को बीएचयू के कला संकाय चौराहे पर एक समूह ने मनु स्मृति जलाने का प्रयास किया। यह घटना विश्वविद्यालय के अंदर धार्मिक उन्माद फैलाने का कारण बन सकती थी, जिसका उद्देश्य समाज में भेदभाव और असहमति को बढ़ावा देना था। छात्रों का आरोप है कि यह कदम पूर्व-निर्धारित था और इसका उद्देश्य परिसर में तनाव पैदा करना था। विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर, प्रो. एसपी सिंह ने इस घटना की सूचना लंका थाने को दी और वहां पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की।
प्रो. सिंह ने पुलिस को बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं का एक समूह धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए एक संगठित तरीके से एकत्रित हुआ था। यह समूह न केवल मनु स्मृति जलाने का प्रयास कर रहा था, बल्कि उन्होंने प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम के साथ भी मारपीट की। इन छात्रों द्वारा सुरक्षा कर्मियों पर हमले के दौरान दो महिला सुरक्षा कर्मियों को गंभीर चोटें आईं। इसके अलावा, इस हंगामे के दौरान परिसर में तोड़फोड़ भी की गई, जिससे सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई।
गिरफ्तारी और पूछताछ
लंका थाने के थानाध्यक्ष शिवाकांत मिश्र के अनुसार, प्रॉक्टर कार्यालय से 13 छात्र-छात्राओं को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ गंभीर आरोपों में मामला दर्ज किया। गिरफ्तार छात्रों में बीएचयू के कला संकाय के कई नामचीन छात्र शामिल हैं, जिनमें मुकेश कुमार, संदीप जायसवार, अमर शर्मा, लक्ष्मण कुमार, अरविंद पाल, अनुपम कुमार, इप्सिता अग्रवाल, सिद्दी तिवारी और कात्यायनी जैसी छात्राएँ भी शामिल हैं।
पुलिस ने इन छात्रों से पूछताछ की और यह जानने की कोशिश की कि उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया। एटीएस की टीम भी मामले की जांच में जुटी है, क्योंकि कुछ गिरफ्तार छात्रों के खिलाफ पहले भी संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट थी। एक छात्रा का नाम पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की सूची में था, और उसकी जांच की जा चुकी थी।
एटीएस की जांच में नया मोड़
एटीएस के अधिकारियों का कहना है कि इन गिरफ्तार छात्र-छात्राओं से पूछताछ के बाद कुछ ऐसे संकेत मिले हैं, जो यह बताते हैं कि इनकी गतिविधियाँ केवल स्थानीय विवाद तक सीमित नहीं थीं। एटीएस की टीम को यह संदेह है कि इन छात्रों का संबंध कुछ बड़े आपत्तिजनक समूहों से हो सकता है, जिनका उद्देश्य समाज में धार्मिक उन्माद फैलाना और संस्थागत तौर पर अस्थिरता पैदा करना हो सकता है।
यह घटना न केवल बीएचयू बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक छात्र आंदोलन का हिस्सा मानते हैं। एटीएस टीम ने जांच शुरू कर दी है कि क्या इन छात्रों का कोई संबंध उग्रवादियों या अर्बन नक्सलियों से तो नहीं है, जो देश में अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या यह सिर्फ एक छात्र विरोध है?
यह सवाल अब हर किसी के मन में है: क्या यह केवल एक छात्र आंदोलन है, या फिर इसके पीछे कोई गहरी साजिश काम कर रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वविद्यालयों में इस तरह के विवाद अक्सर न केवल शैक्षिक माहौल बल्कि समग्र समाज पर भी असर डालते हैं। यदि यह घटना एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, तो यह देश में धार्मिक उन्माद फैलाने के गंभीर प्रयास का संकेत हो सकता है।
बीएचयू प्रशासन की प्रतिक्रिया
बीएचयू प्रशासन ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और यह सुनिश्चित किया है कि इस तरह के किसी भी धार्मिक उन्माद को परिसर में पनपने नहीं दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि वे छात्रों की शैक्षिक और व्यक्तिगत सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं और ऐसे किसी भी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो परिसर में असहमति और हिंसा को बढ़ावा दे।
इस घटना के बाद बीएचयू प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजामों को और भी सख्त कर दिया है। विश्वविद्यालय के भीतर और आसपास पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।
प्रतिक्रिया और राजनीतिक हलचल
इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों ने बीएचयू प्रशासन और राज्य सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वे छात्रों के मुद्दों पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय इन्हें सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, सरकार के पक्ष से इस घटनाक्रम को एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि ऐसे किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाए।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि बीएचयू में हुई इस घटना ने न केवल विश्वविद्यालय को बल्कि पूरे देश को चिंतित कर दिया है। इस मामले में गिरफ्तार छात्रों की जांच से जुड़ी कई और नई बातें सामने आ सकती हैं, जो इसे एक बड़े विवाद का रूप दे सकती हैं।
संभावित और गहरी जांच के संकेत
आगे की जांच में एटीएस और पुलिस विभाग को यह देखना होगा कि इस कृत्य के पीछे किस प्रकार का संगठित समूह या विचारधारा काम कर रही थी, और इसका उद्देश्य क्या था। अगर यह घटना किसी बड़े राजनीतिक या धार्मिक एजेंडे से जुड़ी हुई है, तो यह आने वाले दिनों में और भी बड़ी बहस का कारण बन सकती है।