Raipur में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला अपने हक के लिए कोर्ट में पैरवी करने पहुंची, लेकिन उसे न केवल सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया, बल्कि उसके पति ने कोर्ट परिसर में ही उसे तलाक दे दिया। यह मामला अब पुलिस जांच का विषय बन चुका है। इस घटना ने पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया है और साथ ही यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या सच में कोई व्यक्ति इस प्रकार से कानून की अवहेलना कर सकता है?
महिला का हक पाने के लिए कोर्ट में संघर्ष
Raipur के सकेरा स्टेट निवासी मंतशा सिद्दीकी और उनके पति कमरूल हक सिद्दीकी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। मंतशा ने दहेज उत्पीड़न, मारपीट, जबरन रोकना, सार्वजनिक बेइज्जती, और जान से मारने की धमकी जैसे गंभीर आरोप अपने पति और ससुरालवालों पर लगाए हैं। इन आरोपों पर कोर्ट में एक लंबी कानूनी लड़ाई चल रही थी।
मंतशा के अनुसार, उनके पति और ससुराल वाले इन आरोपों में हाईकोर्ट गए थे, जहां कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। लेकिन, इसके बाद भी कोर्ट ने उनके खिलाफ अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन द्वारा 4.25 लाख रुपये का फाइन लगाया था। यह सभी मामले एक लंबे समय से कोर्ट में चल रहे थे, और मंतशा को उम्मीद थी कि इस बार उसे न्याय मिलेगा।
कोर्ट परिसर में हुआ तलाक़ का फैसला
6 नवंबर को जब मंतशा दोनों मामलों में पैरवी करने कोर्ट पहुंची, तो कोर्ट परिसर में ही उसका सामना उसके पति कमरूल हक सिद्दीकी से हुआ। उस दौरान कमरूल ने कहा कि वह केवल शरियत (इस्लामिक कानून) को ही मानता है और उसका कोई वास्ता कोर्ट से नहीं है। वह पत्नी से सार्वजनिक रूप से यह भी कह रहा था कि वह उसे एक रुपये भी नहीं देगा, बल्कि सिर्फ तलाक ही देगा।
सार्वजनिक रूप से अपने पत्नी के साथ इस प्रकार का बर्ताव करना न केवल महिला के लिए अपमानजनक था, बल्कि यह उस व्यक्ति के लिए भी एक कड़े सवाल खड़ा करता है, जो कानून के दायरे में रहने के बजाय शरियत जैसे नियमों का हवाला दे रहा था।
इतना ही नहीं, कमरूल ने खुलेआम धमकी दी कि अगर वह कोर्ट के बाहर उससे मिलती है, तो उसे जान से मार देगा। इस धमकी ने मंतशा को और भी भयभीत कर दिया। महिला ने तुरंत इस घटना की जानकारी पुलिस को दी और पुलिस कमिश्नर से शिकायत की।
पुलिस ने तुरंत की कार्रवाई
पुलिस कमिश्नर के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने तत्काल इस मामले में एफआईआर दर्ज की। इस एफआईआर में महिला ने आरोप लगाया है कि उसके पति ने न केवल उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया, बल्कि उसकी जान को भी खतरा बताया। पुलिस इंस्पेक्टर संतोष कुमार शुक्ला ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में पुलिस ने धमकी देने के अलावा अन्य धाराओं में भी शिकायत दर्ज की है। अब पुलिस मामले की गहन जांच करेगी और आरोपी पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
समाज और कानून में इस तरह के मामलों पर विचार
यह घटना समाज के एक बड़े पहलू को उजागर करती है, जिसमें पति-पत्नी के रिश्तों में घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मामलों में महिलाओं के लिए न्याय प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। हालांकि, कानून में महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है, लेकिन असामाजिक तत्व इस कानून का उल्लंघन करने से पीछे नहीं हटते।
इस घटना के बाद से यह सवाल भी उठता है कि क्या केवल कानून के दायरे में रहने से समाज में बदलाव आएगा, या फिर हमें समाज में और अधिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपने अधिकारों को जानें और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं।
महिला ने की पुलिस से उम्मीद
मंतशा ने अब अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है और वह न्याय की उम्मीद कर रही हैं। उनका कहना है कि वह चाहती हैं कि उनके पति को इस बर्ताव के लिए कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई और महिला इस तरह के उत्पीड़न का शिकार न हो।
यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि समाज में कई बार महिला के अधिकारों की अनदेखी की जाती है और उन्हें अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
क्या है इस मामले की भविष्यवाणी?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करती है। क्या आरोपी पति को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा, या फिर यह मामला कोर्ट में लटकता रहेगा? महिलाओं के अधिकारों को लेकर जो जागरूकता इन दिनों बढ़ी है, उसे देखते हुए उम्मीद की जाती है कि इस मामले में न्याय मिलेगा और आरोपी को सजा मिलेगी।
यह मामला केवल एक घरेलू हिंसा का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न और शोषण का प्रतीक बन चुका है। महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली मंतशा सिद्दीकी की उम्मीदों पर खरा उतरना इस मामले में न्याय की जीत होगी।