खंडवा जिले में पेड़ों पर कब्जा कर लिया गया जंगल, बुलडोजर से निकाला गया क्षेत्र है – Lok Shakti

खंडवा जिले में पेड़ों पर कब्जा कर लिया गया जंगल, बुलडोजर से निकाला गया क्षेत्र है

खंडवा जिले के गुड़ी वन क्षेत्र में वन विभाग की टीम की ओर से कार्रवाई की जा रही है।

पर प्रकाश डाला गया

  1. जंगल में रातभर एक्शन करती है टीम।
  2. सुबह फिर से बीजाणु पर बुलडोजर ऑपरेशन।
  3. बड़ी-बड़ी खंतियां भी खुदवाई जा रही हैं।

खंडवा,नईदुनिया प्रतिनिधि। खंडवा जिले के गुड्डी वन क्षेत्र के 10 से 12000 हैकटेयर जंगल में पेड़ों को काटने के लिए आतंकवादियों ने कब्जा कर खेत बना लिया है। करीब 3000 हेक्टेयर जमीन पर आतंकियों का कब्जा है, यहां उनकी फसलें घूम रही हैं। रीवा की लंबी यात्रा के बाद वन विभाग ने गुरुवार से यहां की तलाश शुरू कर दी है।

50 जीपें और करीब 500 सिपाहियों की फोर्स के साथ यहां टीम रातभर कार्रवाई करती रहती है। पहले दिन की कार्रवाई में वन परिक्षेत्र के नहर माल में 12 घंटे की कार्रवाई के दौरान करीब सौ हेक्टेयर भूमि को मुक्त कराया गया था। इसके बाद रात भर टीम यहां डटी रही।

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शुक्रवार सुबह से वन विभाग ने फिर से कार्रवाई शुरू कर दी है। जंगल के बीच जीप को बुलडोजर से रचाया जा रहा है। जो खाली जमीन वहां खंतियां खोदाई जा रही है, जिससे कि खाली जमीन पर खेत ना बन सके।

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कंटूरों में जमा होगा बारिश का पानी

बुलडोजर से जंगल में जगह-जगह कंटूर खुदवाए जा रहे हैं। जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होगा। इन कंटूरों में बाद में वृक्ष संरक्षण पर्यावरण को संरक्षित करने की योजना है। डीएफओ राकेश कुमार डामोर का कहना है कि जंगल में पेड़ लगाने का काम फिर से शुरू हो गया है। कार्रवाई के संबंध में उन्होंने कहा कि जब तक पूरी आजादी नहीं मिलेगी तब तक कार्रवाई जारी रहेगी।

एक्टिविस्ट सिद्धांत को कर रहे मिज़ाज

डीएफओ डामोर ने मीडिया से चर्चा के दौरान व्यवसायिक स्ट्रेंथ को संदेश देते हुए कहा कि कई बार देखने में आता है कि कुछ एक्टिविस्ट लोग, जो कि युनाइटेड लीडरशिप करते हैं। वे लोग मिसगाइड कर ब्रेन वाश कर देते हैं। जंगल में अवैध कटाई के लिए लोगों को उकसाया जाता है। उनकी बाद की जांच के लिए भी यही लोग उन्हें गाइड करते हैं।

ऐसे लोग जो इन बहकावे में आते हैं, उनसे कहना चाहता हूं कि आप लोग इन बहकावे में न आएं, यह वन अपराध है। यह पर्यावरण के लिए भी घातक है। पहचान के उद्देश्य से ये लोग व्यवसाय कर भी रहे हैं इसलिए वनाधिकार का दावा नहीं होगा। जंगल से पूरा निपटान हटाने के बाद ही टीम को वापस लें।