Bareilly के किला क्षेत्र स्थित मोहल्ला हुसैन बाग के निवासी एक ड्राइवर ने अपने 18 साल पुराने वैवाहिक जीवन की परेशानियों को लेकर बरेली एसएसपी कार्यालय में गुहार लगाई है। आरोप है कि उसकी पत्नी लगातार झूठे केस दर्ज कर उसे परेशान कर रही है, जबकि उसने अपनी कमाई से घर और कार तक उसके नाम कर दी है।
पत्नी की बीमारी या चालाकी?
ड्राइवर ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी शादी 18 साल पहले हुई थी और उसके तीन बच्चे हैं। उसने दावा किया कि उसकी पत्नी किसी अज्ञात मानसिक बीमारी से पीड़ित है, जिसकी वजह से वह बार-बार घर से गायब हो जाती है। बीते 18 सालों में, वह 25 बार घर छोड़ चुकी है। हर बार उसे ढूंढकर वापस लाना पड़ा, लेकिन कुछ समय बाद फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है।
ड्राइवर ने कहा, “मैंने उसे भरोसे में लेने के लिए अपना मकान और कार उसके नाम कर दी। लेकिन इसके बावजूद वह मुझ पर दहेज हत्या और घरेलू उत्पीड़न के झूठे आरोप लगाती है।”
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ा असर
शिकायतकर्ता ने रोते हुए बताया कि इन घरेलू झगड़ों का सबसे ज्यादा असर उनके तीन बच्चों पर पड़ा है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने बताया, “जब भी पत्नी घर से गायब होती है, मैं उसे ढूंढने में अपना सारा समय और पैसा लगा देता हूं। बच्चों का भविष्य अधर में है।”
एसएसपी दफ्तर पहुंचा फरियादी
ड्राइवर ने दिल्ली में अपनी ड्राइविंग की नौकरी तक छोड़ दी है और न्याय की आस में बरेली पहुंचा है। एसएसपी कार्यालय में उसने एक पत्र सौंपा, जिसमें उसने अपनी आपबीती लिखी। हालांकि, उप मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की वजह से अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाई।
मकान और कार के बावजूद झूठे केस
ड्राइवर ने बताया, “मैंने सोचा था कि मकान और कार पत्नी के नाम करने से उसका मुझ पर भरोसा बढ़ेगा। लेकिन वह उल्टा मुझ पर दहेज उत्पीड़न का केस कर देती है। मुझे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है।”
घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के झूठे केस का मामला
यह मामला केवल एक परिवार का नहीं है। देशभर में ऐसे कई उदाहरण सामने आते हैं, जहां पति अपनी पत्नियों द्वारा झूठे आरोपों का शिकार होते हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग और पुलिस विभाग को हर साल हजारों ऐसी शिकायतें मिलती हैं, जिनमें झूठे आरोपों का दावा किया जाता है।
पुलिस से उम्मीद
ड्राइवर ने पुलिस से गुहार लगाई है कि वह उसकी समस्या को समझे और झूठे केस से उसे राहत दिलाए। उसने कहा कि वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है और चाहता है कि उसका परिवार एक साथ शांतिपूर्ण जीवन जी सके।
सामाजिक विशेषज्ञों की राय
इस मामले पर समाजशास्त्रियों का कहना है कि परिवारों में बढ़ते विवादों के कारण मानसिक तनाव और बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ता है। उनका मानना है कि झूठे केस दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए कानूनों को सख्त और निष्पक्ष बनाना चाहिए।
यह मामला परिवारिक झगड़ों और झूठे केस दर्ज कराने के मुद्दे को उजागर करता है। जहां एक तरफ महिलाएं दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, वहीं दूसरी तरफ झूठे आरोपों से परेशान पुरुष भी न्याय की तलाश में भटकते हैं। अब देखना होगा कि बरेली पुलिस इस मामले में कैसे कार्रवाई करती है और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।