रांची। केंद्र और झारखंड सरकार के बीच 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। झारखंड सरकार का दावा है कि राज्य में कोयला खनन की रॉयल्टी और खनन के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र के पास यह दस्तावेज है। लेकिन, केंद्र सरकार ने संसद में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड का उनके पास कोई शराब नहीं है। केंद्र के इस रुख पर झारखंड सरकार ने विरोध जताया है। झारखंड के सीएम माइकल सोरेन (हेमंत सोरेन) ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि झारखंड की जायज है। राज्य के विकास के लिए यह जरूरी है। उन्होंने झारखंड के भाजपा मार्केट से अपील की है कि वे झारखंड की इस मांग पर आवाज उठाएं। झारखंड के पोर्टफोलियो एलायंस ने केंद्र के पास कुल 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की राशि का हिस्सा विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रमुखता से उठाया था। सीएम सोरेन ने अपनी सभा में बार-बार कहा कि केंद्र ने झारखंड का पैसा रोका है, जिसके कारण राज्य का विकास प्रभावित हो रहा है। दो दिन पहले बिहार के नायाब नाबालिग राजेश रंजन नीती ने विपक्ष में यह सवाल पूछा था कि राज्य सरकार के पास 1.40 लाख करोड़ रुपये का स्टॉक है।
उसे पोस्ट नहीं किया जा रहा है। इसका क्या कारण है? इस सवाल पर सेंट्रल फाइनेंस कंपनी पंकज चौधरी (पंकज चौधरी) ने लिखित जवाब में कहा कि केंद्र सरकार के पास सागर के पास का झारखंड का कोई हिस्सा नहीं है। केंद्र के इस जवाब के बाद झारखंड में विशेष तौर पर ब्रेकअप मचना तय माना जा रहा है। अन्य राज्यों के निजी दौरे पर सीएम रसेल सोरेन ने सोशल मीडिया पर पहली प्रतिक्रिया दी है। सीएम सोरेन ने इसी साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास मुख्य रूप से खनन और खनिजों से होने वाले राजस्व पर प्रतिबंध लगाता है, जिसमें 80 प्रतिशत कोयला खनन (कोयला खनन) शामिल है। झारखंड में काम करने वाली कोयला कंपनी का मार्च 2022 तक राज्य सरकार का करीब 1,36,042 करोड़ रुपये का शेयर है। उन्हें कोयला कंपनी की ओर से एक पत्र भेजा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे 2018-2020 में 100 करोड़ रुपये की बिक्री कर चुके हैं।
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इसके अनुसार वाश्ड कोल की रॉयल्टी के पागल में 2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी की सीमा के उल्लंघन के निवेशकों के रूप में 32 हजार करोड़, भूमि अधिग्रहण के निवेश के रूप में 41,142 करोड़ और इसपर सऊदी की संपत्ति के अनुसार कथित तौर पर 60 हजार करोड़ रुपये के निवेशक हैं। सीएम सोरेन ने एक निगमित कंपनी में कहा था कि जब झारखंड की बिजली कंपनी ने सेंट्रल कॉर्पोरेशन डीवी (दामोदर वैली) के मध्यस्थ भुगतान में थोड़ी देरी की, तो हमसे 12 प्रतिशत ब्याज लिया और हमारे खाते से सीधे भारतीय रिजर्व बैंक ( रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) से डेबिट कर लिया गया। उन्होंने कहा कि यदि हम कोयला कंपनी पर साधारण ब्याज के रूप में 4.5 प्रतिशत के खाते से भुगतान करते हैं, तो राज्य को प्रति माह केवल ब्याज के रूप में 510 करोड़ रुपये की बैठक मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस उत्पाद का भुगतान न होने से झारखंड राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, क्लिंजली प्रिंसेस और फाइनल चॉइस जैसे विभिन्न सामाजिक वित्तीय संस्थानों की कमी के कारण ज़मीन पर गड़बड़ी की समस्या आ रही है।