भोपाल गैस त्रासदी: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी धरती के नीचे गिरा है साजि़द कचरा

40 साल बाद भी गैस सिलेंडर को न्याय नहीं मिला।

पर प्रकाश डाला गया

  1. भट्टियों में हेवी मेटल और आर्गेनोसोल मिला
  2. गेहूं का नमक अब तक नहीं हुआ
  3. वास्तविक राशि में 129 करोड़ खर्च नहीं हुआ

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया। भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल पूरे होने जा रहे हैं, गैस त्रासदी को लेकर सरकारी वादों और जमीनी स्थिति में बहुत अंतर है। तीन साल बाद भी साझीदार कचरा यूनियन कार्बाइड परिसर में दर्शन हुआ। इस वजह से गोली लगने की बात हो रही है। वर्ष 2018 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्सीकोलाजी रिसर्च लखनऊ की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।

मोर्टार में हेवी मेटल, आर्गनो नाइट्रोजन

रिपोर्ट के अनुसार यूनियन कार्बाइड परिसर के आसपास के 42 विभिन्न खनिजों में हेवी मेटल, आर्गनो रसायन पाए गए, जो कैंसर और किडनी की बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके बाद इस क्षेत्र में नर्मदा जल की आपूर्ति सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर जारी है।

वर्ष 2018 में इन कालोनियों के अतिरिक्‍त सामुहिक कृषकों तक पहुंचने के खतरे की जांच नहीं की गई।

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गैस पीड़ित संगठन की ओर से दावा किया गया है कि रेड किट से उन्होंने अतिरिक्त सामग्री के पांच थ्रीकॉम के प्रोजेक्ट में आने वाली 29 अन्य कॉलोनियों में भी जांच की तो आर्गेनो इंजेक्शन मिला है, कितनी मात्रा में इसकी जांच बड़े स्तर पर सरकार द्वारा की गई है इच्छा की आवश्यकता है.

गढ़े साजीव रसायनिक कचरे का भंडार

गैस के लिए काम करने वाली सोशल एक्टिविस्ट रचना ढींगड़ा ने बताया कि त्रासदी के पहले परिसर में ही गधे साम्यवादी केमिकल कचरा डाला गया था। इसके अतिरिक्त संयोजन में बनाए गए तीन छोटे तालाबों में भी पाइप लाइन के माध्यम से अवशेष अवशेष रखे गए थे।

इस गुड़िया की कोई बात ही नहीं हो रही। गोदाम में रखे नारियल को नष्ट करने पर 126 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इसे पीथमपुर में जलाया जाना है।

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14 साल बाद भी राशि के हिसाब से खर्च नहीं निकला 129 करोड़ रुपए

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गैस प्रोटेस्ट के आंकड़े वर्ष 2010 में 272 करोड़ रुपये बढ़े थे। इसमें 75 प्रतिशत राशि केन्द्र और 25 प्रतिशत राज्य सरकार की थी। इसमें भी आज तक 129 करोड़ रुपए का खर्च नहीं मिला।

गैस राहत एवं आपूर्ति विभाग आज तक इस राशि पर खर्च करने की योजना नहीं बना पाया है। आर्थिक आंकड़े 104 करोड़ रुपये मील थे। इसमें 18 करोड़ रुपये टेक्निकल ट्रेनिंग पर खर्च बाकी रकम मिलती है।

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सामाजिक आंकड़ों के लिए 40 करोड़ रुपये मील थे, जिसमें गैस सब्सिडी के लिए पेंशन का भी प्रावधान है। 4399 महिलाओं को पेंशन मिल रही है। वर्ष 2011 से यह राशि एक हज़ार है जिसका स्केल नहीं है। न ही किसी नए हितग्राही को शामिल किया गया है।

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