किरायेदारी अधिनियम: किराए पर नहीं रहना, सेकंड स्ट्रीट पर देना, चार गुना किराया – Lok Shakti

किरायेदारी अधिनियम: किराए पर नहीं रहना, सेकंड स्ट्रीट पर देना, चार गुना किराया

नए किरायेदारी अधिनियम में कई नियम बनाए गए हैं। मेटा एआई द्वारा निर्मित छवि

पर प्रकाश डाला गया

  1. 6 महीने के लिए बिजनेस फेस्टिवल
  2. बिना लिखे उपकिरायेदारी पर अंकित, होगी कार्रवाई
  3. कॉन्ट्रैक्ट के बाद खाली न करने पर चार गुना लोनार।

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल: बंधक क्षेत्र में आवास किराए पर लेकर व्यवसाय संचालित करना आम बात है लेकिन अब मकान मालिक के स्वामित्व के बिना ऐसा नहीं किया जा सकेगा। यदि व्यावसायिक गतिविधि संचालित होती है तो छह महीने का उद्यम विकसित होगा।

किरायेदार किसी और को किराए पर भी नहीं दे सकता। ऐसा पाया जाता है तो इसे अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। इसके निर्माण हेतु भारत सरकार के निर्देशानुसार किरायेदारी अधिनियम का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।

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मुख्य सचिव अनुराग जैन की मीटिंग के बाद शिक्षकों को अब ऋण विकास एवं आवास विभाग द्वारा नामांकन में प्रस्तुत किया गया। उधर, फायर एक्ट भी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है।

भोपाल, इंदौर, जापानी, बाख़बर, मज़हबी सहित अधिकांश डायनासोर उद्यमियों में बड़ी संख्या में आवास किराए पर दिए गए हैं। कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराए, मकान के संधारण और खाली रहने को लेकर विवाद होता है। केस कोर्ट तक पहुंच जाते हैं।

किरायेदारी अधिनियम का प्रारूप

इसे देखते हुए मकान मालिक और किरायेदार के हितों को दृष्टिगत रखा गया था, भारत सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम का घटक बनाकर सभी राज्यों को अपने-अपने अधिनियम में संशोधन करने के लिए भेजा था। प्रदेश के आवास विकास एवं आवास विभाग ने इसका आधार प्रारूप तैयार कर लिया है, जो 16 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने की तैयारी है।

मालिक की सहमति जरूरी

इसमें यह प्रावधान किया गया है कि किरायेदार के बिना मकान मालिक की सहमति से किसी और को किरायेदार नहीं रखा जा सकता। यदि दोनों के बीच एकरूपता है तो उप किरायेदार रखा जा सकता है और इसकी सूचना कंपनी को व्यावसायिक होगी।

अनुबंध ख़त्म होने के बाद चार गुला उद्यमी बन जायेंगे

किरायेदार का अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं हुआ तो पहले दो महीने तक दोगुना और उसके बाद चार गुना मासिक किरायेदार रहेगा। आवासीय परियोजना के लिए किराये पर मकान लेने के बाद वहां व्यवसाय करने की छूट नहीं रहेगी। अगर ऐसा है तो छह महीने के किराए के पूर्वज लगेंगे।

यह भी विधानमंडल है

  • बिना कॉन्ट्रैक्ट के मकान मालिक किरायेदार नहीं रहेगा।
  • निर्धारित अवधि के बाद मकान खाली करना होगा।
  • यदि मकान खाली नहीं किया गया है तो शिकायत पर सुनवाई करके बेदखली की कार्रवाई की जाएगी।
  • मकान मालिक भी किरायेदार को अलौकिक रूप से तंग नहीं कर सकता।
  • आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर मालिक के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
  • अनुबंध के किरायेदार के अनुसार बढ़ाया गया उद्घोषणा कंपनी की ओर से शुरू की गई है तो इसकी याचिका व्यवसायिक उद्यम में जा सकती है।

– युद्ध, बाढ़, सूखा, तूफ़ान, भूकंप या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति हो तो अवधि समाप्त होने पर भी किरायेदार से मकान खाली नहीं रखा जाएगा।

– किरायेदार की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को रहने का अधिकार होने पर उसे भी अनुबंध का पालन करना होगा।

– मकान किराये पर देने के बाद मकान मालिक को यह अधिकार नहीं रहेगा कि वह कभी भी परिसर में प्रवेश करे।

– मकान में संग्रह या अन्य कार्य निरीक्षण, निरीक्षण या अन्य किसी भी कारण से प्रवेश करना है तो कम से कम चौबीस घंटे पहले सूचना सामग्री होगी।

– सलाहकारों की नियुक्ति नहीं होगी, जो डिप्टी से कम स्तर का नहीं होगा।

– प्रत्येक जिले में जिला या अपर जिला न्यायाधीश को अधिकरण नियुक्त किया जाता है। साठवें दिन के अंतर्गत आवेदन का आवेदन करना होगा।

– केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, किसरी सरकार निगम, उद्यम या किसी कानूनी संस्था के स्वामित्व वाले परिसर पर विधान लागू नहीं होगा।