पर प्रकाश डाला गया
- मूर्ति के ब्लैक स्पॉट गणपति घाट का वैकल्पिक मार्ग शुरू
- 42 मीटर ऊंचे पहाड़ को चीरकर 8.8 किमी लंबी सड़क बनाई गई
- गणपति घाट पर एसोसिएट्स के ड्रॉप्स का प्लास्टर थाम जाएगा
प्रेमविजय पाटिल . नईदुनिया धार : मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग के राउ-खलाघाट फोरलेन के गणपति घाट के भय से शनिवार को हजारों वाहनों के लिए मुफ्त यात्रा ने नए मार्ग से राहतभरा यात्रा तय की। शनिवार को सेंट्रल पुर्तगाल के नेपोलियन शंकर लालवानी ने प्रात: 11:25 बजे फिफ्लाइट ग्रीन असेंबल में वैकल्पिक मार्ग से चालू नाले का निर्माण किया।
प्रात: 11:33 बजे सबसे पहले ट्रॉली के ड्राइवर का मंगल परिधान से स्वागत किया गया। इसके बाद स्टैफिल मार्ग को बैरिकेड लगाकर बंद करवा दिया गया। सुबह 11:50 बजे इंदौर से धामनोद की ओर जाने वाले समुदाय के जाने का निर्देशन शुरू हो गया। नए मार्ग की 8.8 किमी की दूरी तय करते हुए 6 मिनट की दूरी तय करें।
ट्रक चार्ट में कहा गया है कि नई सड़क बहुत सुरक्षित है। यहां कोई छूट भी नहीं है। अब ड्राइवर यहां से सुरक्षित निकलेगा। नई सड़क पर यूनिवर्सल पर लगाम लीज की पूरी तरह से उम्मीद की जा रही है।
प्रथम की भगवान गणेश की प्रार्थना
कट्टरपंथियों से पहले साझीवादी और अन्य नेताओं ने भगवान श्री गणेश की पूजा की- रेट कर घाट पर अब साउदी पर लगाम लगे, इसकी प्रार्थना भी की। पहले दिन कोई परेशानी नहीं रही। थ्री लेन रोड से चार्टर्ड को राहत रही।
15 साल की झेली ट्रेजरी
15 साल में गणपति घाट पर करीब 3000 लोगों की मौत हो गई। वहीं 16 लोगों की हॉलीवुड में तबाही से मौत हो गई। वहीं वैकल्पिक मार्ग के संकेत से नौ घंटे पहले गणपति घाट पर एक और हादसा हो गया था। इसमें एक शख्स की मौत हो गई.
छह खंड खंडों का निर्माण किया गया
दुर्घटना के पर्याय के रूप में 8.8 किलोमीटर का मार्ग बनाया गया है। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एक महीने पहले तय समय सीमा से तैयार कर लिया था। इसके लिए केवल एक नहीं, समुद्र तल से छह खंडों को अलग किया गया है। इनमें से एक माउंटेन की वॉलपेप 42 मीटर था।
सुधारित 15 वर्ष पुरानी
गणपति घाट में करीब 15 साल पहले निर्माण के दौरान और अधिक ढलान बनाए रखने की गलती की गई थी, जो देश के सबसे बड़े ब्लैक स्पाट में से एक बन गया था। यहां होने वाले में 17 महीने तक लगातार लोगों की जिंदगी में कमी लाने का काम किया गया।
तय समय से पहले काम हुआ पूरा
इसके तहत 12 लाख घन मीटर मिट्टी व मुरम हटाई गई। 11 लाख घन मीटर मिट्टी व मुरम का भराव किया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इतिहास में मध्य प्रदेश में पहली बार इस तरह के पहाड़ की कटाई की गई और तय समय से पहले काम पूरा किया गया।
दिनरात हुआ काम
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक सुमेश बांझल ने बताया कि गणपति घाट हमारे लिए चिंता का विषय था, क्योंकि रोजाना की खबर हमें मिलती रहती थी। 106 करोड़ रुपए की लागत से बने इस 8.8 किलोमीटर लंबे मार्ग को बनाने में सभी ने मानव आधार पर काम किया।
सड़क में रेक गया कम ढलान
ईस्टा ने भी उस मशीन का उपयोग किया, जो आम तौर पर इस तरह के नौ किलोमीटर के मार्ग के निर्माण में उपयोग नहीं किया जाता है। यह मार्ग तीन लेन का है और इसकी चौड़ाई 10.30 मीटर है। इस पर विशेष सावधानी के साथ काम किया गया है। यहां ग्रेडिएंट (ढलान) को कम रखा गया है, ताकि खतरे की आशंका न रहे।
बड़े और छोटे समुदाय के लिए अलग लेन
वहीं एनएच-52 फोरलेन को भी दो मुख्यधारा में बांटा गया है। इसमें एक लेन पर बाइक और कार निकलेगी जबकि शेष तीन लेन पर बड़े समुदाय की हवेली धामनोद से इंदौर की ओर बनी रही। इस तरह के बदलाव से वहां के दृश्यों के बीच भी अस्तिव में कमी आने की आशंका है।