पर प्रकाश डाला गया
- सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और स्टोरी क्रिएटर लतीशा जोन्स हैं।
- कान का मेल बेचकर रोजाना 9 हजार रुपए कमा रही है लतीशा।
- लैटिशा ने एक वीडियो के जरिए शेयर्ड बिजनेस की जानकारी दी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल सोशल मीडिया पर क्या वायरल हो जाए कहा नहीं जा सकता। कौन सा यूनीक बिजनेस केमिस्ट्रेटरी चलन से इसका कोई मतलब नहीं है। ऐसी ही एक बिजनेस मॉडल सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और स्टोरी क्रिएटर लताशा जोन्स ने शुरुआत की है।
उनकी कमाई से सबसे ज्यादा चर्चा उनके बिजनेस मेडिसिन की हो रही है। वह अपने कान का मेल बेच रही है। आप सोच रहे होंगे कि आख़िरकार उसे खरीद लिया जाएगा और उसका क्या किया जाएगा। मगर, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके जरिए वह रोजाना हजारों रुपये की कमाई कर रही है।
पूरी दुनिया में हो रही है चर्चा
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, लतीशा के कान का मेल रखने वालों में कोई कमी नहीं है। मजे की बात तो यह है कि लतीशा के कान से एकमुश्त ज्यादा मेल की बात होती है, लोग उसे अनाउंसमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे देने को तैयार रहते हैं। लतीशा के इस बिजनेस की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है।
एक वीडियो के जरिए टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर स्टार लतीशा ने अपने साइड हसल के बारे में हाल ही में जानकारी शेयर की है। उसने बताया कि वह ऑनलाइन अपने कान के मेल को बेचती है, जिससे उसे रोजाना करीब नौ हजार रुपये की कमाई होती है।
कुछ लोग आश्चर्यचकित कर रहे हैं, कुछ कर रहे हैं शान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कॉटन बड्स से अपने कान को साफ करने के बाद लतीशा उसे मेल के साथ सीलबंद लाइफफे में बंद कर देती है। इसके बाद उसे ऑनलाइन सेलेक्ट किया गया। लतीशा के कान के मेल की मात्रा के आधार पर उसे भुगतान किया जाता है।
हालाँकि, कई लोग इससे हैरान भी हैं। वहीं, कुछ लोगों ने लतिशा के बिजनेस की सराहना की है। उनका कहना है कि वे भी इस बिजनेस को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं।
दुनिया की कुछ अजब गजब चीजें ऐसी भी
बिहार में ऐसे अजीबोगरीब गरीब काम हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। उदाहरण के लिए जापान, अमेरिका और चीन में यात्री यात्रियों की नौकरियाँ हैं। इनका काम मेट्रो में यात्रा करने वाले यात्रियों को मेट्रो के अंदर धक्का देना और किराए पर लेना बंद करना होता है। बिहार, मेट्रो में भारी भीड़ होने पर भी यात्री अंदर नहीं जा पाते हैं, तब ये पुशर अपनी मदद करते हैं।
इतना ही नहीं, दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों के परिवार में किसी की मौत होने पर पेशेवर रुदाली का नाम बताया जाता है। महिलाओं के अलावा पुरुष भी करते हैं ये काम। समांतर परिवार के घर पहुंचने के बाद ये लोग फूट-फूट कर दिखते हैं और बदले में उन्हें अच्छे पैसे भी मिलते हैं।
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