तय है ‘सामान्य वर्ग’ को लेकर छात्रों में गुस्सा, नाराजगी कैसे तय होती है नंबर, किस तरह से लागू होता है?

तय है 'सामान्य वर्ग' को लेकर छात्रों में गुस्सा, नाराजगी कैसे तय होती है नंबर, किस तरह से लागू होता है?
नामकरण की पूरी प्रक्रिया को स्वीकार करें।

डिजिटल डेस्क, रेस्तरां। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने छात्रों के दबाव में दो शिफ्टों में होने वाली परीक्षा का फैसला वापस ले लिया। 20 हजार छात्रों के विरोध के बाद आयोग ने घोषणा की कि एक दिन में प्रारंभिक परीक्षा होगी। समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) परीक्षा- 2023 के लिए एक नई समिति गठित होगी। पीसीएस परीक्षा अब 7-8 दिसंबर को नई तारीखों के बजाय आयोजित की जाएगी, जबकि आरओ/एआरओ परीक्षा भी जारी कर दी गई है।

क्या होता है डेटाबेस

नामकरण एक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षा के परिणामों को समान स्तर पर लाना होता है। इसका कारण यह है कि जब एक से अधिक शिफ्टों का परीक्षण होता है, तो हर शिफ्ट का प्रश्न पत्र थोड़ा अलग हो सकता है, जिससे कुछ छात्रों को अधिक आसान या कठिन नमूनों का सामना करना पड़ता है।

उदाहरण के साथ अन्तर्निहित हैं…

मान लीजिए, अगर एक परीक्षा दो पलियों में हो रही है। यदि प्रथम पाली में प्रश्न पत्र आसान है, तो वह पाली के छात्र अधिक प्रश्न हल कर सकते हैं। दूसरी पाली में यदि प्रश्न पत्र कठिन होता है, तो वहां के छात्र छात्र प्रश्न हल नहीं कर सकते। इस अवांछनीय को दूर करने के लिए नामांकन रद्द कर दिया गया है।

नामकरण का तरीका

मान लीजिए कि पहली पाली में किसी छात्र ने 80 अंक प्राप्त किए थे और दूसरी पाली में 70 अंक पाने वाले छात्रों को एक ही स्तर पर अंक प्राप्त करने के लिए, नामांकन के माध्यम से उनके अंक प्राप्त किए गए थे, जिससे दोनों का प्रदर्शन समान रूप से माना जा सके। जा सके। इस प्रक्रिया से दोनों पालियों के छात्रों के बीच किसी प्रकार के भेदभाव की स्थिति समाप्त हो जाती है।

बाबर का कहना है कि नामकरण के कारण उनकी मेहनत और प्रदर्शन में भिन्नता है, इसलिए वे इसे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।

इन होटलों में भी नामावली लागू है…

यूपी लोक सेवा आयोग की तरह कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), पुलिस भर्ती परीक्षा, रेलवे भर्ती बोर्ड, एनटीए सहित कई विश्वविद्यालयों में नामांकन लागू है। इनमें से भी एक से अधिक पालियों में चोरी कर ली जाती है। उसके बाद नक्षत्रों को व्याकरण कर दिया जाता है।

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