आयुर्वेद में चिप्स-चूरन का जमावड़ा, टेबलेट-कैप्सूल में मिल रही दवा

रिसर्च आयुर्वेद संस्थान के समुद्र तट पर बैठे मरीज।

पर प्रकाश डाला गया

  1. औषधियों के प्रभाव न से पहले से ही लोकप्रिय है आयुर्वेद चिकित्सा
  2. चार साल में दोगुने से ज्यादा हो गए आयुर्वेद से इलाज करने वाले
  3. कोरोना काल के बाद लोगों का बढ़ा है आयुर्वेद पर और भी अधिक विश्वास

अन्य. नईदुनिया सूची। आरोग्य के प्रणेता भगवान धन्वंतरि की शास्त्रोक्त चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में नवाचारों को अपनाकर औषधि कंपनी और ग्राहकों ने जनमानस में इसकी प्रति के विश्वास को बढ़ाया है। बाकी क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के आंकड़े बताते हैं कि यहां आयुर्वेद से इलाज करने वालों की संख्या 2020 से 2024 तक, यानी चार साल में दो गुना से ज्यादा हो गई है।

डॉक्टरी इसकी एक बड़ी वजह है, दवाइयों के तरीके में बदलाव। चूरन-चटनी की जगह टेबलेट और कैप्सूल ले ली है। दूसरी और महत्वपूर्ण वजह, आयुर्वेद औषधियों का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। एक तरफ बड़ी-बड़ी लैब्स मेडिकल लैब्स और अस्पताल खुल रहे हैं और लाखों की संख्या में मरीजों के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेद भी अपनी जगह मजबूत कर रहा है।

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कोरोना के बाद आयुर्वेद पर आधारित विश्वास का ही नतीजा है कि पिछले चार वर्षों में क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान में एक लाख 25 हजार से अधिक लोगों ने इलाज किया है और स्वस्थ भी हुए हैं। इस संस्थान में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से विभिन्न चिकित्सकों का इलाज करने के लिए प्रतिदिन कई जोड़ों की संख्या पाई जाती है, जहां पिछले वर्ष 36 हजार रोगियों का उपचार किया जाता था, लेकिन इस वर्ष रोगियों की संख्या 42 हजार तक पहुंच गई है। इसके पीछे का कारण जटिल प्रयोगशाला का उपचार भी है।

कोरोना के बाद यूँ बढ़ाया आयुर्वेद पर विश्वास

  • वर्ष
  • 20-21 20,000
  • 21-22 27,000
  • 22-23 36,000
  • 23-24 42,000
  • naidunia_image

इनमें से अधिकांश

  • बीमारी रोगी
  • संस्तुति 2257
  • वात व्याधि 2058
  • त्वचा 2019
  • कमर दर्द 1644
  • अर्श रोग 2200
  • पेटविकार 1435
  • खांसी-ज़ुकाम 2500

सहायक का सुझाव भी कम ही दिया जाता है

आयुर्वेद में एक समय वैद्यशास्त्र दिए गए और उसे शहद या पानी में अपनाया गया। लेकिन औषधियों के पैटर्न में बदलाव आ गए हैं। कई आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ बनाई जा रही हैं। यह एलोपैथी की कैप्सूल और टैबलेट पर उपलब्ध करवा रही है। इससे इन अवशेषों को लेने में कोई परेशानी नहीं आ रही है। मरीज़ को भी लगता है कि वह आयुर्वेदिक दवा नहीं ले रहा है। वहीं अब आयुर्वेद डॉक्टर को बहुत जरूरत है कि आप ही असिस्टेंट करने की सलाह दें

अस्पताल में गठिया रोग, वातरोग, उदर (पालतू) रोग, चर्म (त्वचा) रोग, ज्वर, कमर दर्द के मरीज सबसे ज्यादा हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि इलाज से भारी लाभ होता है। इसके साथ ही शोध संस्थान के विज्ञान द्वारा किए गए शोध का लाभ भी विद्यार्थियों को मिल रहा है।

डा. अनिल मंगल अधिकारी, क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, चतुर्थ

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