बिक सरकारी जमीन, नामांतरण की प्रक्रिया में अज्ञातता,नामांकन जांच

जिला प्रशासन ने नामांकन निर्णय लिया है।

नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। सरकारी जमीन को अपने नाम पर चढ़वाकर भूमाफिया ने शासन को करोड़ो की चपत लगा दी। यह गेम खत्म नहीं हुआ, सरकारी जमीन का सौदा कई बार हुआ और हर बार नामांतरण भी आसानी से बिना किसी जांच के हो गया। फ़ारिची ज़मीन की ज़मीन की बिक्री की निरंतरता मिल रही मृगों के बाद के निर्देशों पर बनी ज़मीन की ज़मीन की ज़मीन की ज़मीन और ज़मीन की ज़मीन की ज़मीन और अधिकार अभिलेखों में भौतिक दस्तावेज़ीकरण किया गया। ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि जमीन बेचने वालों की कई जमीनें अब निजी संपत्तियों में गिर गई हैं। किनके तहत यह स्थिति बनी हुई है, यह अब भी स्पष्ट नहीं है, जिसके आधार पर जिला प्रशासन ने अंतिम निर्णय लिया है।

उद्यमियों के नेतृत्व में गठित नौ वैशिष्ट्य जांच टीम द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कई बंधकों को निजी संपत्ति के रूप में रखा गया है, लेकिन इन जमीनों के निजी होने की घोषणा का कोई ठोस कारण पेश नहीं किया गया है। जमीन को निजी जमीन के आधार पर घोषित किया गया है, इसकी स्थिति स्पष्ट करने के लिए जांच रिपोर्ट फिर से तैयार की जा सकती है। अधिकारियों का कहना है कि कुछ भूमि सादृश्य में अज्ञातता के कारण कुछ को सरकारी कब्जे में लेकर निजी कब्जे में घोषित कर दिया गया है। इससे सरकारी संपत्ति को नुकसान हो सकता है। कलेक्टर अवनीश शरण ने जनदर्शन और अन्य माध्यमों से मिली पार्टियों की जांच की तो पता चला कि मस्जिद जमीन पर भू माफिया का कब्जा है और रिकार्ड से चोरी कर निजी लोगों के नाम पर जमीन दर्ज की जा रही है। इसे नामांकित से लिया गया नामांकित पीयूष तिवारी की निर्वाचित जांच टीम बनाई गई थी। इस टीम ने बिलासपुर के स्वामित्व वाली भूमि एवं मिशाल भूमि का भौतिक दस्तावेज से अभिलेखन कर अभिलेखों की स्थिति एवं स्वामित्व वाली भूमि का कारण सहित विवरण प्रस्तुत किया है। जांच दल ने अपने सहायक क्षेत्र में सर्वेक्षण और भौतिक सत्यापन किया है।

राजस्व अधिकारियों की अचल संपत्ति के बिना संभव नहीं

जिले में भूमाफिया की सक्रियता से सचिवालय जमीन के दस्तावेज दस्तावेज में निजी जमीन की घोषणा कर नाम का संशोधन किया गया है। अभी तक कुछ मामले सामने आए हैं जिसमें रजिस्ट्रार ने पटवारियों पर निलंबन की कार्रवाई की है। जमीन का नाम परिवर्तन व फर्जी दस्तावेज तैयार कर राजस्व अधिकारियों की अहम भूमिका सामने आ रही है। इसी तरह के दस्तावेज पेश किए जाने के बाद कई पटवारियों पर कार्रवाई की गाज डालने वाली कंपनी की पूरी रिपोर्ट पेश की जा सकती है।

सरकारी से निजी बनीं जमीनें

केस नं. 1, मोपका सरकंडा का भोंदूदास मामला अब भी गणतंत्र में है। जांच में यह पता चल रहा है कि किस जमीन पर व्यक्तिगत लोगों के नाम चढ़ाए गए हैं।

केस नं. 2, खमतराई स्थित 11 ओक ग्राउंड के बाइक का एग्रीमेंट हो गया था। हालाँकि, इससे पहले ही प्रशासन ने नगर निगम पर कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चालू कर दिया था।

केस नं. 3, सकरी के ग्राम पोंड़ी के 80 स्मारक भूमि को पटवारी के सहायक ने निजी लोगों के नाम पर चढ़ा दिया। शिकायत पर जांच के बाद कलेक्टर ने पटवारी को निलंबित करने की मांग की है।

केस नं. 4, ग्राम बसिया के सरपंच और उपसरपंच पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। बिलासपुर नामांकित व्यक्ति ने इस मामले में नोटिस जारी करने की बात कही है।

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