पर प्रकाश डाला गया
- क्वॉर्टर पोर्टफोलियो में घुसे हुए किसान।
- ओपेइओल एंटरप्राइजेज डीएपी खाद्य पाइपलाइन।
- कंपनी को नियंत्रण करने के लिए पुलिस पर निगरानी रखना।
नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। बेलगाम जिले में खाद का संकट हो रहा है। किसानों का गुस्सा देख प्रशासन के हाथ-पैर भी फूलने लगे हैं। रविवार को गोदाम में डीप खाद होने के बाद भी वितरण नहीं हुआ, ऐसे में किसान ऐसे अनाजों की कतार में सैकड़ों किसान गोदाम में लगे और खाद के बोरों को उठाने लगे।
किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही
किसानों की भीड़ और चकमा देने वाले स्टाफ़ के शेयरधारक भाग गए। जिले के किसानों के लिए ब्रोकरेज कंपनी की ओर से डीएपी खाद नहीं मिल रही है। बुधवार से कृषि मंडियों में स्थित सुपरमार्केट पर टोकन व खाद के लिए किसान लाइन लगी हुई थी।
टोकन शेयर बाजार के बाद खाद की मांग शुरू हुई
दोपहर 12 बजे के बाद दोपहर 12 बजे के करीब किसानों को टोकन बांटना शुरू हो गया। किसानों को डीएपी की जगह एनपीके, सोडियम, पी पोटाश आदि खाद दिए जा रहे थे, जिसमें शामिल करने के लिए किसानों को सहमति नहीं थी। इसी दौरान किसी ने अफवाह उड़ाई कि मार्केटिंग यूनियन के पोर्टफोलियो में डीएपी के हजारों बोर हैं, लेकिन नीचे नहीं जा रहे हैं। इसने किसानों को आश्चर्यचकित कर दिया और वे होटल में ऑटोमोबाइल में लग गए।
डीपीपी के बोरे रखे हुए मिल गए। इन्स्टाल्युट से डी.पी. बोरों को खींचकर बाहर लेकर आये। कुछ किसान विभाग के बोरों को आवंटन ले लिया गया। रेस्टुरेंट स्टोइलर का फ़ोर्स प्रीमियर किसानों को जैसे-तैसे कर गोदाम से बाहर निकाला गया। इसके बाद फ़्लॉवर का शटर बंद कर दिया गया कर्मचारी लापता हो गया।
कालाबाजारी पर नहीं हो रहा मुकदमा, इसलिए बढ़ रहा संकट
चंबल अंचल में डीएपी खादी को लेकर सबसे बड़ा संकट मुरैना में ही है, उधर दस दिनों में यहां तीन ठिकानों पर खादी के अवैध भंडार और कालाबाजारी का मामला सामने आया है। इस संबंध में मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना का कहना है कि वे कलेक्टरों को निर्देशित कर रहे हैं कि जमाखोरों पर मुकदमा हो ताकि किसानों को पर्याप्त खाद मिल सके।
डीएपी की जगह एनपीए खाद की सलाह
डीपीपी खाद के लगातार बढ़ रहे संकट और किसानों के सवालों को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को सुझाव दिया है कि वह डीपी की जगह एनपीके खाद का उपयोग करें। कृषि विभाग के उप निदेशक पीसी पटेल ने कहा कि इस सप्ताह डीएपी की दो रैक आ रही हैं, उनके बाद किसानों को पर्याप्त खाद मिलेगी।