प्रत्यक्ष जिले का अनोखा विशिष्टता… 13 छात्र आते हैं सिर्फ दो, दो अतिथि शिक्षक के अलावा दो रसोई भी

प्राइमरी स्कूल दोनों अतिथि शिक्षक, प्लेसमेंट के लिए सबजी व प्राइमरी स्कूल का भवन बनाया गया।

पर प्रकाश डाला गया

  1. टीचर का दावा करने वालों के दोस्त की कलई खुली नजर आती है।
  2. स्कूल में अभी दो बच्चे, दो अतिथि शिक्षक और दो रसोईयां आती हैं।
  3. अब प्रश्न यह है कि इस विद्यालय में नियमित शिक्षक क्यों नहीं?

नईदुनिया, अधिकारिता (सीधी न्यूज़. डिप्टी डिस्ट्रिक्ट प्रशासन की ओर से लंबे समय से यह दावा किया जा रहा है कि जिले में कोई भी स्कूल शिक्षक नहीं है। इन सभी शिक्षकों से हटकर सीधे जिलों के घूघा में एक ऐसी पाठशाला है जो बिना किसी नियमित शिक्षक के चल रही है। ऐसे में जिस प्राइमरी स्कूल में पिता प्रभारी शिक्षक हैं, तो बेटा वही स्कूल में अतिथि शिक्षक के तौर पर मास्टर साहब बना हुआ है।

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छात्रों की संख्या 13 है, लेकिन स्कूल सिर्फ दो ही आते हैं

इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या केवल दो है। इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या केवल दो है। इस स्कूल में दो व्यंजन भी हैं जो बच्चों के लिए खाना बनाते हैं अब ऐसे में बेहतर स्कूल में बेहतर शिक्षक का दावा करने वाली सरकार के विद्यार्थियों की कलई खुलती नजर आती है कि इस स्कूल में नियमित शिक्षक क्यों नहीं है।

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दो बच्चे, दो अतिथि शिक्षक और दो रसोईये आते हैं

स्कूल में पढ़ने वाले सभी 13 छात्र स्कूल क्यों न आएं, यह बड़ा सवाल है कि दो बच्चों को स्कूल में पढ़ाएं और दो अतिथि शिक्षक बनाएं और उन्हें भोजन दें, दो रसोई बनाएं इसलिए स्कूल आएं कि उन्हें अपने वेतन और वेतन से मतलब है और लगभग सभी स्कूल यह आज तक संचालित है अन्य इस स्कूल का क्या फ़ायदा इस प्राथमिक स्कूल की समस्या को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं।

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नियमित शिक्षक न होने के प्रश्न पर वह गोल-माल उत्तर

जब जिला शिक्षा अधिकारी पीएल मिश्रा से जानकारी चाही तो उन्होंने भी स्कूल की जांच करने की बात कही कि किस स्कूल में नियमित शिक्षक न होने के सवाल पर गोल-माल जवाब देते हुए आए जिला शिक्षा अधिकारी के बयान के बाद यह बात तो स्पष्ट हो गई उस जिले में शिक्षक शाला न होने की दवा अभी पूरी नहीं हुई है जिस दिन यह दबा पूरा होगा उस दिन से स्कूल में ना आने वाले सभी छात्र स्नातक परीक्षा भी लेंगे।

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प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट

मध्यवर्ती जिलों में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है, यह है कि यह स्कूल पहाड़ी, ग्रामीण इलाकों में नहीं जाने वाला है और इस तरह का एक छोटा सा स्कूल है, सिर्फ कागजों में भरकर छात्रों और शिक्षकों के लिए विकसन शालाएं शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों के विश्वविद्यालयों में संचालित की जाती हैं। हो रही हैं, रिसर्च रिसर्च मीडिया के जीरो ग्राउंड डिस्प्ले के डेरेमियान सामने आए हैं।

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पिता एक ही स्कूल में अतिथि शिक्षक, बेटा एक ही स्कूल में अतिथि शिक्षक

ऐसे में जिस प्राइमरी स्कूल में पिता प्रभारी शिक्षक हैं तो बेटा उसी स्कूल में गेस्ट टीचर के तौर पर मास्टर साहब बने हैं जो कागज में 13 छात्र हैं लेकिन मोटे टुकड़ों में सिर्फ दो छात्रों को शिक्षा दीक्षा दे रहे हैं ऐसे में इस बात का खुलासा जा सकता है कि जिले के शिक्षा विभाग ने अपनी योग्यता में व्यक्तिगत योग्यता और जिले को आर्थिक लाभ दिया हो, लेकिन बच्चों के भविष्य से कोई फर्क नहीं पड़ता।

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